संपादकीय: जम्मू कश्मीर में भारी मतदान सुखद संकेत
Heavy turnout in Jammu and Kashmir is a good sign: एक दशक बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनाव हुए हंै और इसमें जम्मू कश्मीर के मतदाताओं ने जिस उत्साह के साथ अपने मतों का उपयाग किया है।
वह सुखद संकेत हैं। तीसरे और अंतिम चरण के लिए जिन 40 विधानसभा सीटों के लिए मतदान संपन्न हुआ। उसमें कई जगह तो मतदाताओं की टोलियां नाचते गाते मतदान के लिए पहुंची थी।
तीसरे चरण में भी 64 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ जो एक नया रिकॉर्ड है। जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया मेें बाधा डालने के लिए पड़ोसी देश पाकिस्तान की शह पर आतंकवादी संगठनों ने हिंसक घटनाओं को अंजाम देने की कोशिश जरूर की।
लेकिन भारतीय सेना और सुरक्षाबल के जवानों की सतर्कता के कारण उनके नापाक मंसूबे नाकाम रहे। जम्मू कश्मीर के अतिसंवेदनशील मतदान केन्द्रों में चुनाव आयोग ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के लिए चाकचौबंद इंतजाम किये थे।
चप्पे चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे। जिसकी वजह से वहां के लोगों ने निर्भीक होकर मतदान किया। निश्चित रूप से इसके लिए चुनाव आयोग और भारतीय सेना के जवान बधाई के पात्र हैं।
जिन्होंने जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराया है। इस चुनाव का परिणाम चाहे जो निकले कोई भी पार्टी जीते लेकिन जम्मू कश्मीर में जो भारी मतदान हुआ है वह लोकतंत्र की बड़ी जीत है।
गौरतलब है कि 370 के खात्में के बाद पिछले लोकसभा चुनाव में भी जम्मू कश्मीर के लोगों ने बढ़चढ़कर मतदान किया था और अब विधानसभा चुनाव में भी वहां के मतदाताओं ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपनी उत्साहजनक भागीदारी निभाई है जो आतंकवाद के मुंह पर करारा तमाचा है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि जम्मू कश्मीर में चाहे जिस पार्टी की भी सरकार बनेगी। वह जम्मू कश्मीर को विकास के पथ पर अग्रसर करने में अग्रणी भूमिका निभाएगी।