Hathras Stampede: हाथरस का सत्संग मैदान बना 'कब्रिस्तान'; भगदड़ में 116 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन?

Hathras Stampede: हाथरस का सत्संग मैदान बना ‘कब्रिस्तान’; भगदड़ में 116 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन?

Hathras stampede: Satsang ground of Hathras became 'graveyard'; Who is responsible for the death of 116 people in the stampede?

Hathras stampede

-भगदड़ में 116 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन?

हाथरस। Hathras stampede: हाथरस के पुलरई गांव में दिल दहलाने वाली घटना हुई है। भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मच गई, जिसमें अब तक 116 लोगों की मौत हो चुकी है। यह भगदड़ दोपहर करीब डेढ़ बजे हुई। यूपी पुलिस ने बाबा की तलाश में मैनपुरी जिले के राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट में सर्च ऑपरेशन चलाया। आईजी शलभ माथुर ने कहा कि सत्संग आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा रही है।

उधर मुख्यमंत्री योगी ने हाथरस घटना (Hathras stampede) को लेकर बैठक की है। मुख्यमंत्री मौके पर भेजे गए तीनों मंत्रियों से लगातार संपर्क में हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस घटना के लिए जो भी जिम्मेदार होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा और उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मंगलवार को हुए सत्संग में करीब एक से डेढ़ लाख लोगों (श्रद्धालुओं) ने हिस्सा लिया। एक विशाल मंडप बनाया गया था। सत्संग (Hathras stampede) के बाद अचानक लोग बाहर आ गए, लेकिन निकास द्वार बहुत संकरा था और सड़क पर नाली भी थी। चारों ओर कीचड़ था। इसी बीच भगदड़ मचने से एक के बाद एक लोग नाले में गिरते गए और करीब डेढ़ से दो घंटे तक वहीं दबे रहे।

एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि मैदान में सत्संग मंडप बनाया गया था। सत्संग के बाद गुरुजी की कार चल पड़ी। लोग उनके पैर छूने के लिए दौड़े और भगदड़ मच गई। कई लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर पड़े। हादसे के बाद लोगों ने तुरंत शवों और घायलों को अस्पताल पहुंचाया। हाथरस के सिकंदर राव ट्रॉमा सेंटर के बाहर दिल दहला देने वाला मंजर था। भगदड़ में जिन लोगों की जान चली गई और वे बेहोश थे, उन्हें एंबुलेंस में लाया गया। जब एम्बुलेंस कम हो गईं, तो लोग कारों में शवों को अस्पताल लाने लगे।

यहां तक कि घायलों और जान गंवाने वालों को अस्पताल पहुंचाने के लिए स्ट्रेचर भी पर्याप्त नहीं थे। अस्पताल में हर तरफ चीख-पुकार सुनाई दे रही थी। पहले तो सत्संग (Hathras stampede) में इतने श्रद्धालु एकत्रित हुए कि संगठन और प्रशासन चरमरा गया, फिर दुर्घटनाओं में घायलों की संख्या इतनी बढ़ गई कि उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए पर्याप्त वाहन नहीं थे। भगदड़ में अपने बेटे को खोने वाली एक मां ने कहा कि हम दर्शन के लिए आये थे, बहुत भीड़ थी, हम बिट्टू को गोद में लिये हुए थे। भगदड़ मच गई।

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