Hasdeo Forest Threat : हसदेव जंगल और गंधमार्दन पर्वत को भाजपा सरकार से खतरा : विनोद का आरोप...

Hasdeo Forest Threat : हसदेव जंगल और गंधमार्दन पर्वत को भाजपा सरकार से खतरा : विनोद का आरोप…

महासमुंद, 20 मई| Hasdeo Forest Threat : पूर्व संसदीय सचिव विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को निर्देश दिया है कि वे आरक्षित वन भूमि के व्यक्ति विशेष या संस्थानों को किए गए आवंटन की जांच करें, जो वनों के हित में या जंगल से जुड़ा ना हो।

चंद्राकर ने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का छत्तीसगढ़ सरकार पालन करती है तो हसदेव जंगल की कटाई में तत्काल रोक लगनी (Hasdeo Forest Threat)चाहिए। क्योंकि, हसदेव जंगल को मध्य भारत के फेफड़े के रूप में वर्णित किया जाता है। हसदेव की कटाई का भयंकर परिणाम हम वर्तमान में देख रहे हैं।

बेतहाशा गर्मी व तापमान में अनियंत्रित रूप से वृद्धि होना हसदेव जंगल देवभूमि की कटाई का परिणाम है। चंद्राकर ने कहा कि भाजपा ने जहां-जहां सरकारें बनाई वहां के प्राकृतिक तथा ऐतिहासिक स्थलों को नष्ट करने की योजना पहले से बना रखी है।

उन्होंने कहा कि ओड़िशा में भी भाजपा की सरकार आते ही गंधमार्दन पर्वत के आसपास सैकड़ों एकड़ जमीनों को अदानी कंपनी के हवाले किया गया है। बाक्साइट उत्खनन के लिए गंधमार्दन का अस्तित्व को समाप्त करने केंद्र सरकार व ओड़िशा की भाजपा सरकार ने मिलकर लाखों लोगों की आस्था को ठेंस पहुंचाई है।

चंद्राकर ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासियों की देवभूमि हसदेव जंगल की पेड़ों की कटाई पर पूर्णत: रोक विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर लगाया था। भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।

लेकिन, केंद्र की मोदी सरकार के दबाव में आकर छत्तीसगढ़ सरकार ने हसदेव जंगल की कटाई तथा कोयला उत्खनन करने का काम अदानी कंपनी को दे दिया है। 2 माह पूर्व हसदेव क्षेत्र के परसा कोयला खदान में पेड़ों की कटाई का विरोध करने वाले आदिवासियों पर पुलिस ने बेरहमी से लाठीचार्ज किया।

आदिवासियों की परंपरा, सभ्यता तथा उनके आस्था से जुड़ी हसदेव वन भूमि की कटाई आदिवासियों के विरोध के बाद भी निर्बाध रूप से जारी (Hasdeo Forest Threat)है। कोयला खनन के लिए 2.73 लाख से अधिक पेड़ों को काटने की योजना है। पहले ही 94,460 पेड़ काट दिए गए हैं। हसदेव की कटाई से वन्य जीवों को संकट, हाथी-मानव द्वंद्व तथा आदिवासियों की जंगल पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी। हसदेव जंगल के आसपास के सैकड़ों आदिवासी परिवारों के समक्ष जीविकोपार्जन का संकट उत्पन्न हो जाएगा।

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