Hasdeo Aranya Mining Project : ग्रामीणों को हाईकोर्ट का झटका, SC का केंद्र-राज्य सरकार से जवाब-तलब |

Hasdeo Aranya Mining Project : ग्रामीणों को हाईकोर्ट का झटका, SC का केंद्र-राज्य सरकार से जवाब-तलब

Hasdeo Aranya Mining Project: High Court's blow to villagers, SC's reply-call from Central-State Government

Hasdeo Aranya Mining Project

रायपुर/नवप्रदेश। Hasdeo Aranya Mining Project : हसदेव अरण्य जंगल को खनन परियोजनाओं से बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे ग्रामीणों को हाईकोर्ट से झटका लगा है। दरसअल छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बुधवार को भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली ग्रामीणों की याचिका खारिज कर दी है। वहीं इससे ही जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड और परसा केते कॉलरीज को नोटिस जारी करके चार हफ्ते में जवाब मांगा है।

अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट (Hasdeo Aranya Mining Project) में एक याचिका दायर की है। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बुधवार को कोर्ट में इस मामले में पैरवी की। उन्होंने कोर्ट को बताया, हसदेव अरण्य जंगल नो गो एरिया घोषित था। इसमें परसा ईस्ट केते बासन नाम की खदान को जो अनुमति दी गई थी उसको नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 2014 में ही रद्द कर दिया था। ट्रिब्यूनल ने भारतीय वन्यजीव संस्थान और इंडियन काउंसिल ऑफ फारेस्ट्री रिसर्च से इस क्षेत्र में

4 लाख 50 हजार पेड़ काटे जाएंगे इस परियोजना के तहत

खनन के दुष्प्रभावों का विस्तृत अध्ययन करने को भी कहा था। केन्द्र ने ऐसा अध्ययन कराए बिना ही अन्य खदानों को परमिशन देना जारी रखा। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की अध्ययन रिपोर्ट अब सात साल बाद आई है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि हसदेव के जितने हिस्से में खनन हो गया उसके अलावा किसी भी अन्य इलाके में खनन नहीं किया जाए। इस रिपोर्ट के आने के बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार ने परसा ईस्ट केते बासन खदान के दूसरे चरण और परसा खदान को अनुमति दे दी है। इसमें 4 लाख 50 हजार पेड़ काटे जाएंगे। इसकी वजह से इस क्षेत्र में हाथियों और इंसानों के बीच संघर्ष बढ़ जाएगा।

नो गो एरिया के बाहर बहुत से कोल ब्लॉक

राजस्थान विद्युत उत्पादन कंपनी और खनन कंपनी के कोयले की जरूरत वाली दलील के जवाब में प्रशांत भूषण ने कहा कि नो गो एरिया के बाहर बहुत से कोल ब्लॉक हैं जहा पर्याप्त कोयला उपलब्ध है। ऐसे में जैव विविधता से भरपूर एक जंगल में खनन की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए। सुनवाई के बाद खण्डपीठ ने केंद्र व राज्य सरकार से 4 हफ्ते में जवाब देने का निर्देश दिया है। खनन पर स्थगन आदेश जारी करने के आवेदन पर इसके बाद बहस होगी।

राजस्थान ने दिया अपनी जरूरत का हवाला

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार आवेदनों पर जवाब दाखिल करना चाहती है इसलिए अभी तुरंत कोई स्टे ना दिया जाए। राजस्थान विद्युत उत्पादन कंपनी और परसा कॉलरीज की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी तथा अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, राजस्थान को बिजली बनाने के लिए कोयले की बहुत ज्यादा जरूरत है।

भूमि अधिग्रहण मामला भी जाएगा सुप्रीम कोर्ट

परसा कोयला खदान प्रभावित ग्रामीणों (Hasdeo Aranya Mining Project) ने पिछले साल एक याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की थी। इसमें कहा था कि सरकार ग्राम सभा की सहमति के बगैर जमीनों का अधिग्रहण कर रही है। यह भूमि अधिग्रहण कानून का उल्लंघन है। इसके लिए सरकार कोल बेयरर एक्ट का उपयोग कर रही है जो नए भूमि अधिग्रहण कानून के बाद से प्रभावी नहीं है। ऐसे में भूमि अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया को ही रद्द कर दिया जाए। बुधवार को उच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया। वहीं छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने बताया, हाईकोर्ट का विस्तृत आदेश नहीं मिला है। जैसे ही वह मिलता है उसके अध्ययन के बाद हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।

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