GST Fraud : दायरे में आया बड़ा जीएसटी जाल…170 से अधिक बोगस फर्में और करोड़ों की चोरी…

GST Fraud
GST Fraud : राज्य जीएसटी विभाग ने एक व्यापक जांच में ऐसी व्यवस्थित साज़िश का भंडाफोड़ किया है जिसमें 170 से अधिक बोगस फर्मों के माध्यम से नकली रजिस्ट्रेशन, बोगस बिल और ई-वे बिल बनाकर कर वसूली में भारी हेराफेरी की जा रही थी। इस मामले में जांच का केंद्र कथित रूप से कर सलाहकार मो. फरहान सोरठिया का ऑफिस है, जहां से पर्याप्त दस्तावेज और डिजिटल ट्रेल प्राप्त हुआ।
प्रारंभिक पूछताछ और दस्तावेज़ों के मिलान से पता चला कि सिर्फ 26 फर्मों के नाम से 822 करोड़ रुपये तक के ई-वे बिल जेनरेट किए गए, जबकि इन फर्मों ने अपने रिटर्न में महज 106 करोड़ ही टर्नओवर दिखाया। विभाग के प्रारंभिक आकलन के अनुसार केवल इन्हीं फर्मों के कारण राज्य को करीब 100 करोड़ रुपये से अधिक का जीएसटी नुकसान हुआ हो सकता है।
जाँच टीम ने फरहान के ऑफिस से 172 फर्मों से जुड़ी जानकारियाँ, किरायानामे, सहमति पत्र और एफिडेविट जैसे बोगस दस्तावेज बरामद किए। फरहान कथित तौर पर पाँच सहयोगियों की मदद से इन फर्मों का पंजीकरण कराता, रिटर्न फाइल करवाता और ई-वे बिल जारी करवाता था। विभाग को यह भी संदेह है कि इन दस्तावेजों के जरिए कई राज्यों में पंजीयन कराकर नकली आपूर्ति का नेटवर्क संचालित किया गया।
अधिकारी बता रहे हैं कि 17 सितंबर को फरहान के परिवार के एक पते पर छापे के दौरान 1 करोड़ 64 लाख रुपये नकद और लगभग 400 ग्राम सोना बरामद हुआ; यह माल दस्तावेजों के साथ जब्त कर आयकर विभाग को सूचित कर दिया गया है। जांच में कई ब्रोकर, स्क्रैप डीलर और वे कंपनियाँ भी शामिल हैं जिन्होंने इन नकली बिलों के माध्यम से इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया हो सकता है।
विभाग ने कहा है कि डिजिटल एनालिटिक्स और फील्ड वेरिफिकेशन दोनों साथ चल रहे हैं ताकि नेटवर्क के हर स्तर पर किए गए वित्तीय लेन-देन की पड़ताल पूरी तरह से हो सके। आगे की जांच में यदि और सबूत मिलते हैं तो आरोपों की श्रेणी बढ़ाई जा सकती है और मामला अदालत में भी पहुँच सकता है। जांच जारी रहने के कारण और विवरण सार्वजनिक नहीं किए जा रहे हैं, पर विभाग ने शीघ्र और कठोर कार्रवाई का संकेत दिया है।