Surprising : कफन में भर दी जान, अब कर रहा ये काम, यकीन नहीं होता तो देख लो…

Surprising : कफन में भर दी जान, अब कर रहा ये काम, यकीन नहीं होता तो देख लो…

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Grave Cloth : किसानों ने कफन में जान भरी है

जौनपुर/ ए.। कफन (grave cloth) में जान भर दी गई तो यह काफी काम कर रहा है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर में आदि गंगा गोमती के किनारे श्मशान घाट रामघाट के आसपास के गांव के किसानों ने कफन में जान भरी है।

इन्होंने कफन (grave cloth) के जरिए अपनी फसलों को आवारा पशु एवं नीलगाय से बचाने का नया तरीका अपनाया है। यह लोग अंतिम संस्कार के बाद फेंक दिए गए कफन को अपने फसलों का सुरक्षा कवच बना रहे हैं । खेत के चारों तरफ कफन (grave cloth) की बाड़ बनाकर पूरी रात चैन की नींद सोते हैं। जौनपुर में किसान पहले नील गायों से परेशान थे । पर अब आवारा पशुओं एवं छुट्टा गाय बछड़ों से परेशान हैं।

इसलिए आई आवारा पशुओं की बाढ़


प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद अवैध स्लॉटर हाउस के ऊपर ताला लगने से गांव में आवारा पशुओं की बाढ़ आ गई है। ये मवेशी पल भर में किसानों की गाड़ी मेहनत की कमाई चट कर देते हैं। सक्षम किसानों ने अपनी फसल आवारा मवेशियों को से बचाने के लिए कटीले तार का प्रयोग एवं अन्य प्रबंध के किए हैं , लेकिन छोटे मझोले व गरीब किसान अभी भी परेशान हैं।

सफल रहा प्रयोग


ऐसे में श्मशान घाट के आसपास के किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए कफन का इस्तेमाल कर रहे हैं। खेत के चारों तरफ कफन का घेरा बनाया है। किसानों का यह प्रयोग काफी हद तक कारगर साबित हो रहा है ।

इसलिए जानवर डरते हैं कफन से


रामघाट के किसान रतन सिंह चौहान ने कहा कि कफन रात में चमकता है। वाहनों की लाइट पडऩे पर उसकी चमक कई गुना बढ़ जाती है । चमक के कारण मवेशी खेत की तरफ आने से डरते हैं । इसी तरह अजय चौहान , सुनीता बिंद्, विजय बिंद समेत दर्जनों किसानों ने कहा कि इससे हमें काफी हद तक राहत मिली है । अभी तक जानवरों द्वारा हमारी फसलों को जो नुकसान होता था , वह काफी हद तक कम हो गया है ।

दो किसानों की देखा देखी सभी किसान कर रहे ये काम

बदलापुर तहसील क्षेत्र के महमदपुर गांव के निवासी राम अजोर निषाद व संतोष निषाद ने खेत में आलू की फसल की सुरक्षा के पहले तो बांस बल्ली का सहारा लिया । इससे सुरक्षा नहीं हो सकी तो श्मशान घाट पर फेंके गए कफन को लाकर खेत के चारों तरफ बाड़ बना दिया। दोनों किसानों ने कहा कि एक दिन पिलकिच्छा श्मशान घाट पर गए। वहां ढेर सारे कफऩ के कपड़े थे। उन्हें उठाकर लाए और खेत की बाड़ बना दी गई। उन्होंने कहा कि जब कभी वहां जाते हैं तो फेंके गए कफन उठा ले आते हैं और उनकी देखा देखी गांव के किसान भी शमशान घाट पर कफन को लाकर अपने खेतों में की सुरक्षा में इस्तेमाल कर रहे हैं ।

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