जीपी सिंह की गिरफ्तारी….
रायपुर/नवप्रदेश। निलंबित ADG जीपी सिंह मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में 10 नवंबर को सुनवाई होगी। जिसमे आय से अधिक संपत्ति व राजद्रोह और भिलाई में कारोबारी से वसूली मामले पर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने जीपी सिंह की गिरफ्तारी पर रोक हटा दी है। साथ ही सख्त टिप्पणी करते हुए सुनवाई के लिए हाईकोर्ट को 8 सप्ताह का समय दिया।
सुप्रीम कोर्ट की रोक हटने के बाद जीपी सिंह की गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई है। अब सबकी नजर 10 अक्टूबर की सुनवाई पर टिकी हुई है। इधर जीपी सिंह के पुराने मामलों को लेकर हुई FIR पर अब जांच तेज हो गई है। पुराने केस की फाइल में चार मामले ऐसे हैं जो सिंह पर सीधे तौर पर वसूली की ओर इंगित करता है।
पुराने मामलों पर खुली फाइल
भिलाइ के स्मृति नगर चौकी में करीब दो माह एक पहले कारोबारी ने FIR दर्ज कराई गई थी। आरोप लगाया कि झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर निलंबित ADG सिंह ने 1 करोड़ रुपए मांगे थे। घबराकर उसने 20 लाख रुपए तक दे दिए थे। मामला साल 2015-16 का बताया जा रहा है। पुलिस ने मामले में आईपीसी 388 और अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया था।
देवेंद्र नगर में रहने वाले दुर्लभ कुमार अग्रवाल नाम के युवक ने 2013 में शिकायत की थी कि तब रायपुर के SP रहे ओपी पाल और DSP अर्चना झा ने उसके साथ मारपीट की थी। इस केस को बिना जांच के जीपी सिंह ने रफादफा कर दिया था। इस घटना की जांच स्पेशल डीजी अशोक जुनेजा करेंगे।
2016 में जीपी सिंह दुर्ग आईजी थे तो नक्सली लीडर पहाड़ सिंह ने सरेंडर किया था। ACB की छापेमारी में ये पता चला कि पहाड़ सिंह से करोड़ों रुपयों का हिसाब-किताब मिला था। चर्चा है कि पहाड़ सिंह के पास मिले रुपयों को कुछ कारोबारियों के पास रखा गया था जीपी सिंह ने उन कारोबारियों से रुपए लेकर उन्हें डराया था। इस मामले में छानबीन मौजूदा दुर्ग आईजी विवेकानंद सिन्हा करेंगे।
सामाजिक कार्यकर्ता मनजीत कौर बल की भी एक शिकायत है। उनके मुताबिक कुछ आपराधिक मामलों में आरोपी कमलाकांत तिवारी को बचाने की कोशिश सिंह ने की थी। रायपुर रेंज के आईजी आनंद छाबड़ा इस केस की तहकीकात करेंगे।
10 करोड़ की सम्पात्ति जब्त
जीपी सिंह के ठिकानों में 1 जुलाई 2021 को ACB-EOW की 10 टीम ने रायपुर, राजनांदगांव और ओडिशा सहित करीब 15 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा था। जहां से करीब 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति की पुष्टि हुई थी। इसके साथ ही एक गुमनाम डायरी मिलने में लिखे तथ्यों के आधार पर जीपी सिंह पर EOW ने कोतवाली थाने में राजद्रोह का केस दर्ज किया था। जिसके बाद सिंह को पद से निलंबित किया गया था। जिसके बाद जीपी ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने जहां थोड़ी राहत तो दी लेकिन जमकर फटकार भी लगाई।