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GP Singh:15 ठिकानों से ACB को मिला 5 करोड़ की चल-अचल संपत्ति सहित गुप्त डायरी

GP Singh's health deteriorated in police remand, family members said threat to life...

GP Singh

दस्तावेजों को खंगालने में अभी भी जुटी हुई है एसीबी

रायपुर/नवप्रदेश। एंटी करप्शन ब्यूरो ने गुरुवार को आईपीएस जीपी सिंह (GP Singh) के 15 ठिकानों पर छापा मार कार्रवाई की थी जो दूसरे दिन भी लगातार जारी है। एसीबी की जांच मे करीब 5 करोड़ से भी ज्यादा की सम्पत्ति जीपी सिंह के ठिकानो से मिलने की जानकारी शाम को एसीबी निदेशक आरिफ शेख साझा किया है।

एसीबी निदेशक आरिफ शेख ने कहा कि अभी भी जीपी सिंह के रिश्तेदारों,करीबियों और उनसे जुड़े अधिकारीयों से एसीबी की टीम पूछताछ कर रही है। अलग-अलग ठिकानों से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज सहित कई बैंक अकाउंट, शेयर और म्युचुअल फंड में निवेश की जानकारी मिली है।

आरिफ शेख के मुताबिक राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण एवं एंटी करप्शन ब्यूरो मुख्यालय रायपुर में जीपी सिंह (GP Singh) के खिलाफ अपराध क्रमांक 22/021 धारा 13 (1) बी 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 यथा संशोधित 2018 के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि अब तक मिले दस्तावेजों तथ्यों व अन्य साक्ष्यों के अवलोकन किये जा रहे हैं।

अकूट सम्पत्ति के मिले दस्तावेज
गुरजिंदर पाल सिंह यानी जीपी सिंह (GP Singh) उनकी धर्मपत्नी एवं पुत्र के नाम पर 75 से भी अधिक बीमा संबंधी दस्तावेज मिले हैं, जिनमें प्रीमियम के रूप में लाखों रुपए भुगतान किया जाना ज्ञात हुआ है। एक से अधिक एफयुएफअकाउंट बनाए गए हैं। इसी तरह बैंकों एवं डाकघरों में कई खातों की जानकारी मिली है, जिसकी गणना भी की जा रही है। अब तक की जांच में 35 अवसरों पर शेयर एवं म्युचुअल फंड में बड़ी राशि का निवेश किया गया है। अब तक की गणना में 1 करोड़ 50 लाख से अधिक रकम शेयर एवं म्यूचुअल फंड में निवेश किए जाने की जानकारी मिली है, जिसकी गणना निरंतर जारी है। अब तक की जांच में पोस्ट ऑफिस में विभिन्न सावधि जमा के कई खाते पाए गए हैं। गणना के बाद आंकड़ों में और वृद्धि होने की पूरी संभावना भी है।

करोड़ों चल-अचल संपत्ति के जीपी सिंह हैं मालिक
अब तक की जांच में परिजनों के नाम पर हाईवा, जेसीबी कंक्रीट मिक्सचर वाहन मशीन लगभग 75 लाख की जानकारी मिली है जो परिजनों के नाम पर खरीदी गई है। अब तक की जांच में जमीन मकान व फ्लैट में राज्य एवं राज्य के बाहर बड़ी मात्रा में निवेश की जानकारी मिली है। जिस का आकलन किया जा रहा है। ओडिशा के केन्दुझर ज़िले के बड़बिल में जीपी सिंह (GP Singh) के नाम पर माइंस की जानकारी मिली है। इसके अलावा और भी राज्यों में दस्तावेजों छानबीन की जा रही है। अंदेशा लगाया जा रहा है कि इसमें भी बड़ी सफलता एसीबी को जल्द ही हाथ लगेगी। इधर रायपुर के अलावा भिलाई और राजनांदगांव भी सम्पत्ति जानकारी हासिल हुई है।

जांच में मिले डायरी में कई राज है छुपा
जीपी सिंह (GP Singh) के ठिकानों रही जांच के दौरान टीम को एक डायरी हाथ लग गई है। जिसमे कोड वर्ड के कई शब्द ऐसे लिखे हैं जो सीधे तौर पर सिंह के किसी ख़ास पर निशाना साधता हुआ दिखाई दे रहा है। डायरी को काफी संवेदनशील माना जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि इसमें रमन सरकार में शामिल कद्दावर अधिकारियों और पूर्व मंत्री के कुछ काला चिट्ठा हो सकता हैं। डायरी में अनोपचंद और तिलोकचंद जैसे संवेदनशील गुप्त शब्द लिखा हुआ है। डायरी का खुलासा अभी एसीबी ने नहीं किया है।

5 करोड़ से अधिक की जानकारी
अब तक की जांच में कई बहुराज्यीय कंपनियों से परिजनों के बैंक खातों में एक करोड़ से अधिक की जमा होने का पता चला है। अग्रिम जांच पर यह काम और बढ़ने की संभावना है। इस प्रकार अब तक की जांच में कुल 5 करोड़ से अधिक की चल अचल संपत्तियों का पता लगाया गया है।

करीबियों से पूछताछ जारी
जांच के तारतम्य में आज भी प्राप्त दस्तावेजों और जानकारियों के आधार पर अनेक व्यक्तियों से पूछताछ की गई और उनके कथन लिए गए हैं जिससे और नए तथ्य प्रकट होने की संभावना है। जीपी सिंह के संपर्क में जो लोग थे और जिनके साथ सिंह के व्यवसायिक संबंध हैं इनसे पूछताछ के बाद कुछ और नए तथ्य सामने आए हैं। साथ ही कुछ और जानकारियां मिली है। उसके मुताबिक छापामार कार्रवाई और जांच में आसानी होगी। आने वाले समय में कुछ चौंकाने वाले तथ्य भी मिल सकते हैं।

सीसीटीवी से हुआ है छेड़छाड़
जीपी सिंह का बंगला सीसीटीवी कैमरे से लैस था। सभी कैमरों से घर में आने जाने वालों पर कड़ी निगरानी रखी जाती थी। रिकॉर्डिंग सीसीटीवी के डीवीआर में सुरक्षित होता है,लेकिन एसीबी ने जाँच के दौरान ये डीवीआर मशीन गायब पाया है। जांच टीम डीवीआर की तलाश में है पर अब तक सफलता हाथ नहीं लगी है। एसीबी के अधिकारियों का मानना है कि सीसीटीवी फुटेज में जरूर कुछ ख़ास होगा इसलिए मौका पाकर इसे गायब किया गया है। हालाँकि बंगले में कार्यरत स्टाफ सहित जीपी सिंह से भी इस संबंध में पूछताछ किया जा रहा है। टीम को शंका है कि जानकार व्यक्ति ही इसे छुपाया है। यदि डीवीआर मिल जाता है तो कुछ बड़े लेनदेन का खुलासा भफी हो सकता है। ऐसे में बड़े साजिश से बचने के लिए ही डीवीआर को गायब कर दिया गया होगा।

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