कृषि को व्यवसाय के रूप में अपनाने युवाओं को प्रेरित किया जाएः राज्यपाल
राज्यपाल भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ के 44वें वार्षिक कुलपति सम्मेलन में शामिल हुई
रायपुर /नवप्रदेश। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके (Governor Anusuiya Uikey) आज स्नातक कृषि शिक्षा (Agricultural education) में पुनर्विचार विषय पर आयोजित भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ (Indian Agricultural University Association)के 44वें वार्षिक कुलपति सम्मेलन में शामिल हुई। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि दिनों दिन बढ़ रही आबादी की तुलना में रोजगार (job) के अवसर उतने नहीं बढ़ रहे हैं, ऐसे में कृषि ही एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें बड़ी संख्या में रोजगार का निर्माण किया जा सकता है।
कृषि को व्यवसाय के रूप में अपनाने युवाओं को प्रेरित करे
इसके लिए आवश्यक है कि कृषि को व्यवसाय के रूप में अपनाने युवाओं को प्रेरित किया जाए, जिससे कृषि को उद्योग के रूप में परिवर्तित किया जावे। राज्यपाल ने कहा कि हमारे परम्परागत और पुराने बीजों का संरक्षण किया जाना चाहिए। जैविक खेती का प्रचलन बढ़ रहा है, इसे अधिक से अधिक अपनाना चाहिए।
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आदिवासी क्षेत्रों में कोदो-कुटकी की होती है खेती
हमारे आदिवासी क्षेत्रों में कोदो-कुटकी की खेती होती रही है, अब उन्हें बहुराष्ट्रीय कंपनिया अच्छे दामों में खरीद रही हैं, यह कभी गरीबों का भोजन हुआ करता था, आज बड़े-बडे़ होटलों में इनकी मांग बढ़ रही है। मेरा सुझाव है कि आदिवासी क्षेत्रों में बोए जाने वाले इस तरह के फसलों को प्रोत्साहित करें। इससे हमारा आदिवासी समाज कृषि के क्षेत्र में प्रगति कर पाएगा।
कृषि को मुनाफे का व्यवसाय के रूप में अपना सकते हैं
सुश्री उइके (Governor Anusuiya Uikey) ने पुराने समय के याद साझा करते हुए कहा कि मेरी भी कृषि में रूचि है और मैंने अपने गृह जिले में एक छोटा सा फार्म हाऊस विकसित किया है, जिसमें मैं खेती करती थी और बड़ी मात्रा में शिमला मिर्च और अन्य सब्जियों का उत्पादन करती थी। आज इतनी अच्छी तकनीक आ गई है कि विद्यार्थी इन्हें अपनाकर कृषि कार्य करें तो कृषि को मुनाफे का व्यवसाय के रूप में अपना सकते हैं।
देश एवं कृषि की आवश्यकताएं पूरी तरह से बदल गई
राज्यपाल (Governor Anusuiya Uikey) ने कहा कि अब समाज, देश एवं कृषि की आवश्यकताएं पूरी तरह से बदल गई है। जो आवश्यकताएं कुछ दशकों पहले थी एवं जिसके अनुरूप वर्तमान स्नातक कृषि शिक्षा प्रणाली तैयार की गई है, वह अब शायद समकालीन नहीं रह गई है। हम अपने स्नातक स्तर की शिक्षा पद्धति को आज की परिस्थितियों के अनुसार इसमें प्रभावी बदलाव करें, जिससे समाज और देश की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके।