Good News: यदि दूसरी खुराक में देरी हो जाए तो क्या होगा ? शोध से सामने आई जानकारी…
– Vaccine Second Dose: वैक्सीन की दूसरी खुराक में देरी आपूर्ति और प्रतिरक्षा प्रणाली दोनों के लिए फायदेमंद हो सकती है।
- -यदि वैक्सीन की दूसरी खुराक देर से मिलती है तो वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी का स्तर 20 से 300 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
- -यह नया शोध सिंगापुर और भारत समेत कई देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है
नई दिल्ली। Vaccine Second Dose: देश में पिछले कुछ दिनों में कोरोना को लेकर टीकों की कमी के चलते टीकाकरण की रफ्तार धीमी हो गई है। इसलिए देश में कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। लेकिन वे दूसरी खुराक का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, देश की आबादी के एक बड़े हिस्से को अभी तक कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक नहीं मिली है।
टीकाकरण में देरी को लेकर बढ़ती चिंता में एक जानकारी सामने आई है। शोध से पता चला है कि अगर कोरोना वैक्सीन की दूसरी खुराक के बीच की दूरी अधिक है, तो 300 प्रतिशत अधिक एंटीबॉडी का उत्पादन संभव है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक वैक्सीन की दूसरी डोज (Vaccine Second Dose) में देरी से सप्लाई और इम्यून सिस्टम दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है। शोध से पता चला है कि अगर वैक्सीन की दूसरी खुराक देर से मिलती है, तो वायरस से लडऩे वाले एंटीबॉडी का स्तर 20 से 300 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। ऐसे में यह नया शोध सिंगापुर और भारत समेत कई देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
सिंगापुर (Vaccine Second Dose) में कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए, दो खुराक के बीच के अंतराल को 4 से 6 सप्ताह तक कम कर दिया गया है। इससे पहले, अंतराल केवल 3 से 4 सप्ताह था। इस बीच, भारत में भी वैक्सीन उपलब्धता के आंकड़े अच्छे नहीं दिख रहे हैं। यहां भी वैक्सीन की दो खुराक के बीच के अंतराल को बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह करने की सलाह दी है। यह दावा किया जाता है कि यह नीति कम टीकाकरण और अधिक जनसंख्या वाले देशों में उपयोगी हो सकती है।
टीके की पहली खुराक प्रतिरक्षा प्रणाली का निर्माण करती है और वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन शुरू करती है। ऐसे मामलों में, शोध के अनुसार, प्रक्रिया जितनी लंबी होगी। दूसरी खुराक से उतनी ही बेहतर प्रतिक्रिया होगी। इस बीच, टीके की दो खुराक के बीच के लंबे अंतराल को सभी टीकों में फायदेमंद दिखाया गया है।
हालांकि, कुछ नुकसान हैं। इस प्रकार यदि दो खुराकों के बीच अधिक दूरी रखी जाती है तो पूरे देश की जनसंख्या को सुरक्षित करने में अधिक समय लग सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि टीके की पहली खुराक कुछ सुरक्षा प्रदान करती है। हालांकि, दूसरी खुराक लेने के कई सप्ताह बाद तक व्यक्ति को पूरी तरह से प्रतिरक्षित नहीं माना जाता है। इसके अलावा, यदि कम प्रभावी टीके का उपयोग किया जाता है या वायरस के अधिक संक्रामक रूप फैलते हैं, तो दो खुराक के बीच की लंबी दूरी खतरनाक हो सकती है।