Good-news : इसलिए कम नहीं होगी कभी चिल्हर की खनक

Good-news : इसलिए कम नहीं होगी कभी चिल्हर की खनक

  •  करंसी से कॉइन की लाइफ और मेटलिक वैल्यू से बढ़ी पूछ परख

सुकांत राजपूत

रायपुर। सिक्कों (coin) के कई रूप रंग होते हैं। फिर इसकी खनक सदियों से लोगों को आकर्षित भी करती है। सिर्फ एक इन्हीं कारणों से सिक्के आज भी सब के पसंदीदा नहीं बने हुए हैं, बल्कि इनकी करंसी (currency) यानि नोट की तुलना में वैल्यू और लाइफ भी इसे प्रचलित मुद्रा बनाती है। सिक्कों (coin) की वैल्यू और डिमांड का लोहा अब भारत का  वित्त मंत्रालय भी मानने लगा है। एक वक्त था जब सोने, चांदी, तांबे, चमड़े और एल्युमीनियम व पीतल तक के सिक्के चलन में थे। बाद में इसका बेहतर और परिष्क्रित रूप निखरकर सामने आया। वक्त के साथ बड़ी करंसी और आजाद भारत में दो बार करंसी चेंज व नोटबंदी से यही एक अछुता रहा। धीरे धीरे वक्त के साथ सिक्के (coin) चिल्हर कहलाने लगे और मोदी शासनकाल में नोटबंदी (Note bandi) के दौरान पहले कई राज्यों से चवन्नी, अठन्नी फिर 10 रुपए के सिक्के भी हाशिए पर चले गए। अब वत्त मंत्रालय भी चिल्हर की कैटेगिरी में लाकर सिक्कों को एक तरह से दरकिनार करने लगा था। वही इसकी वैल्यू व लाइफ को मानन कर इसे 10, 20, 100 रुपए तक के कॉइन शेप देने में लग गया है। सिक्के की फेस वैल्यू, सिक्कों की मैटलिक वैल्यू, सिक्कों की करंसी की तुलना में लाइफ के साथ ही इसके उपयोग के कई दूरगामी लाभ को पहचान चुका है। नतीजतन वत्त मंत्रालय फिर से पुराने सिक्कों की मैटलिक वैल्यू आंकलन करने और नए सिक्कों की कीमत बढ़ाकर जारी करने की तैयारी में है।

वैल्यू बढ़ी, साइज छोटी हुई

नए सिक्के जैसे जैसे बाजार में प्रचलन में आने लगे हैं, उनका साइज भी कम होता जा रहा है। क्योंकि सिक्कों में प्रयुक्त होने वाली धातुओं और उससे मिलने वाले रासायनिक तत्वों की कमी के साथ मांग भी बढ़ गई है। दुनिया के चुनिंदा देशों की खदानों में कॉइन (coin) में उपयोग होने वाले मेटल जैसे जिंक, कॉपर, निकल आदि धातुओं में रासायनिक तत्व की महत्ता बढ़ गई है। इसलिए इसकी साइज तो छोटी हुई है पर वैल्यू बढ़ी है।

मेटल वैल्यू के साथ फेस वैल्यू

10 रुपए के सिक्के (coin) में आउटर रिंग 75 प्रतिशत कॉपर, 20 प्रतिशत जिंक, और 5 फीसदी इसमें रासायनिक तत्व निकल होता है। इसी तरह इसके अंदर की डिस्क में 65 प्रतिशत कॉपर 15 फीसदी जिंक और 20 फीसदी रासायनिक तत्व निकल की मात्रा होती है। जबकि 20 रुपए के सिक्के में धान की बाली के निशान देश के कृषि प्रधानता को दर्शाते हैं। इनकी मेटल वैल्यू को वित्त मंत्रालय भी मानता है। वहीं फेस वैल्यू वाले सिक्कों के बारी आती है। जिसमें रेट के हिसाब से मेटल व फेस वैल्यू दोनों होती है। सिक्के पर अगर 1, 2, 5, 10 या फिर 20 लिखा होता है तो वह सिक्के की फेस वैल्यू दर्शाता है। जबकि सिक्कों (coin) की मैटलिक वैल्यू का अर्थ है कॉइन को गलाकर उसकी धातु 5 रुपए में बाजार में बेची जाती है तो वह मैटलिक वैल्यू में काउंट होती है।

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