सरकार से अच्छी खबर ? PPF, सुकन्या समृद्धि समेत 12 छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें बढऩे की संभावना है..!
केंद्र सरकार जल्द ही छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें बढ़ा सकती
नई दिल्ली। Good news from the government: केंद्र सरकार जल्द ही छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरें बढ़ा सकती है। इस संबंध में वित्त मंत्रालय 30 जून तक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के लिए ब्याज दरों की समीक्षा करेगा और दरें बढ़ाने पर फैसला लिया जा सकता है। पिछली तिमाही में सरकार ने ब्याज दरों को स्थिर रखा था। माना जा रहा है कि इस समय छोटे निवेशकों को राहत मिल सकती है।
फिलहाल सरकार पोस्ट ऑफिस सेविंग्स, पीपीएफ, सुकन्या, सीनियर सिटिजन्स, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट जैसी कुल 12 तरह की छोटी बचत (Good news from the government) योजनाएं चला रही है। इसके माध्यम से सरकार निवेशकों को लंबी अवधि में अधिक रिटर्न प्रदान करने के लिए हर तीन महीने में ब्याज दरों की समीक्षा और संशोधन करती है। हालांकि, पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया है। पिछली सात तिमाहियों में पहली बार सरकार ने इन छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर में बढ़ोतरी नहीं की है।
जनवरी में बढ़ोतरी
वित्त वर्ष 2023-24 की आखिरी तिमाही के लिए सरकार ने सिर्फ दो योजनाओं की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी। इसमें सुकन्या समृद्धि योजना की ब्याज दर 8 प्ऊीसदी से बढ़ाकर 8.20 फीसदी कर दी गई। इसके अलावा तीन साल की टाइम डिपॉजिट पर ब्याज दर 7 फीसदी से बढ़ाकर 7.1 फीसदी कर दी गई है।
पीपीएफ दरें तय
पिछले तीन साल से पीपीएफ रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है। अप्रैल-जून 2020 में इसे 7.9 प्रतिशत से संशोधित कर 7.1 प्रतिशत कर दिया गया। कोरोना काल में सरकार ने कई बचत योजनाओं की ब्याज दरों में संशोधन और कटौती की थी। तब से पीपीएफ की ब्याज दर 7.1 फीसदी पर स्थिर बनी हुई है। इस बीच ब्याज दरों में तो कई बदलाव किए गए लेकिन पीपीएफ में कोई बदलाव नहीं किया गया। उम्मीद है कि सरकार यहां भी कुछ राहत दे सकती है।
विशेषज्ञों का क्या कहना है?
पीपीएफ समेत सभी छोटी बचत योजनाओं (Good news from the government) पर ब्याज दर सरकार के लिए एक संवेदनशील राजनीतिक मुद्दा है। लाखों छोटे निवेशकों को फायदा पहुंचाने के लिए दरें बढ़ाने का दबाव है। यह घरेलू बचत को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक कदम होगा। हालांकि विशेषज्ञों की राय है कि अगर ब्याज दर बढ़ेगी तो सरकारी खर्च बढ़ेगा।