Ghatsila Bypoll : बीजेपी के 5 महारथी बनाम हेमंत-कल्पना की जोड़ी, सियासी रण में हाई-वोल्टेज ड्रामा
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झारखंड की राजनीति इस समय घाटशिला विधानसभा उपचुनाव (Ghatsila Bypoll) पर केंद्रित है, जहां सियासी तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) दोनों ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। एक ओर बीजेपी की तरफ से झारखंड के पांच पूर्व मुख्यमंत्री प्रचार की कमान संभाले हुए हैं, तो दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की जोड़ी ने मोर्चा संभाल रखा है।
घाटशिला का यह उपचुनाव अब प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुका है। प्रचार प्रसार के दौरान दोनों ओर से तीखे बयान और शब्दों के बाण चलने लगे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निशाने पर जहां चंपई सोरेन और बीजेपी प्रत्याशी बाबूलाल सोरेन हैं, वहीं बीजेपी नेताओं के निशाने पर राज्य सरकार और उसके कामकाज की नाकामियां हैं।
(Ghatsila Bypoll) घाटशिला में परिवर्तन की हवा बहेगी
बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को घाटशिला की हार का डर सताने लगा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले दावा किया था कि घाटशिला में प्रचार की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी, फिर अब खुद और उनकी पत्नी वहां लगातार डेरा डाले हुए क्यों हैं। उन्होंने कहा कि जनता अब समझ चुकी है कि हर बार उसे छलावा नहीं दिया जा सकता। इस बार घाटशिला में परिवर्तन की हवा बहेगी, जो तूफान बनकर आपकी सत्ता को उखाड़ फेंकेगी, उन्होंने जोड़ा।
अकेला हेमंत सोरेन सब पर भारी
जेएमएम नेता डॉ. तनुज खत्री ने कहा कि बीजेपी ने पूरे देश से नेताओं को घाटशिला भेज दिया है, लेकिन जनता का दिल सिर्फ हेमंत और कल्पना सोरेन के साथ है। उन्होंने कहा कि पांच नहीं, पचास मुख्यमंत्री भी आ जाएं, तो भी बीजेपी जीत नहीं पाएगी। अकेला हेमंत सोरेन सब पर भारी है, क्योंकि जनता ने उन्हें वहां भेजा है। बीजेपी यह चुनाव पहले ही हार चुकी है, खत्री ने दावा किया। जेएमएम ने इस उपचुनाव को आदिवासी अस्मिता और झारखंडी स्वाभिमान की लड़ाई बताते हुए नारा दिया है घाटशिला बोलेगा, झारखंड बोलेगा झूठ नहीं चलेगा।
(Ghatsila Bypoll) बीजेपी के तमाम लोग नकारे हैं
इंडिया गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस ने भी बीजेपी पर करारा हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि घाटशिला की जनता ने बीजेपी को पहले ही नकार दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास न तो कोई स्थानीय चेहरा बचा है और न ही कोई विजन। झारखंड के पांच पूर्व मुख्यमंत्री में दम नहीं है, इसीलिए बाहरी मुख्यमंत्रियों को बुलाया जा रहा है। बीजेपी के तमाम स्थानीय नेता नकारे साबित हो चुके हैं, सिन्हा ने कहा। कांग्रेस ने इस चुनाव में स्थानीय मुद्दों, किसानों और युवाओं के रोजगार को प्रमुख एजेंडा बनाया है।
जनता की खामोशी सबसे बड़ा संकेत
घाटशिला का उपचुनाव अब राज्य की सत्ता समीकरणों को तय करने वाला माना जा रहा है। दोनों दलों ने अपने स्टार प्रचारक झोंक दिए हैं। जहां बीजेपी विकास, सुरक्षा और परिवर्तन की बात कर रही है, वहीं हेमंत सोरेन की पार्टी जनाधिकार, पहचान और सम्मान के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह चुनाव सिर्फ एक सीट का नहीं, बल्कि झारखंड की सियासी दिशा तय करने वाला उपचुनाव है। मतदान से पहले का हर दिन नए घटनाक्रम और आरोप-प्रत्यारोप से भरा हुआ है, जो इसे और अधिक रोचक बना रहा है।
