Navpradesh Impact : मेडिकल की ऑल इंडिया कोटे की पीजी सीटों में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के लिए पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रामदास पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
- संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की रिट पीटिशन
- नवप्रदेश ने 23 व 24 मई को क्रमश: डिजिटल व प्रिंट एडिशन में प्रमुखता से प्रकाशित की थी खबर
- मेडिकल की ऑल इंडिया कोटे की पीजी सीटों में आरक्षण का मामला
नई दिल्ली/नवप्रदेश। पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री (Former Union Minister) तथा वर्तमान सांसद डॉ. अंबुमणि रामदास (Dr Ambumani Ramdoss) ने मेडिकल पीजी (Medical PG) की ऑल इंडिया कोटे (All India Quota) की 50 फीसदी सीटों में 27 फीसदी (27 per cent) ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) लागू किए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री (Former Union Minister) रामदास (Dr Ambumani Ramdoss) ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत 28 मई, 2020 को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में रिट पीटिशन दाखिल की है। उल्लेखनीय है कि नवप्रदेश ने 23 मई को अपने डिजिटिल व 24 मई को अपने प्रिंट एडिशन में इस संबंध की खबर को ‘मेडिकल की ऑल इंडिया कोटे (All India Quota) की सीटों में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) शून्य, आयोग का केंद्र को नोटिस’ शीर्षक से प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
मंडल कमीशन ने की थी ये सिफारिश
मंडल कमीशन (सामाजिक ओर शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए बना आयोग (एसईबीसी)) ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही थी कि देश की 52 फीसदी आबादी ओबीसी की है। रिपोर्ट में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण कोटा देने की भी सिफारिश की गई थी। मसलन ओबीसी को सरकारी नौकरियों व केंद्र सरकार के विश्वविद्यालयों में मिलाकर 27 फीसदी आरक्षण।
इस रिपोर्ट के बाद 13 अगस्त 1990 को तत्कालीन केंद्र सरकार ने अपने आदेश में यह घोषणा की थी कि वह सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग को केंद्र की नौकरियों व सार्वजनिक उपक्रमों में 27 फीसदी आरक्षण दे रही है। वहीं यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल 2004-2009 में केंद्र सरकार द्वारा संचालित उच्च शैक्षिणिक संस्थानों में ओबीसी को 27 फीसदी (27 per cent) आरक्षण दिया गया।
सरकार की निष्क्रियता से व्यथित होकर लगाई याचिका : रामदास
रामदास ने कहा कि ओबीसी कल्याण के मुद्दे पर सरकार की निष्क्रियता व कानून तथा नियमों के मुताबिक ओबीसी आरक्षण लागू न हो पाने से व्यथित होकर उन्होंने माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष संपूर्ण ओबीसी समाज की ओर से याचिका दाखिल की है। उन्होंने कहा कि इस याचिका में मेडिकल की पीजी (Medical PG) की सीटों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण (OBC Reservation) की मांग की गई है। रामदास ने कहा कि ओबीसी के लिए तय आरक्षण लागू नहीं हो पाने से ओबीसी अभ्यर्थियों के मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, जो उन्हें संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) व 21 (जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत मिला है।
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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इन तथ्यों का किया जिक्र
पीजी की सीटें
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपनी याचिका में मेडिकल कॉलेजों में बीते कुछ वर्षों में ओबीसी सीटों से जुड़े कुछ तथ्यों का भी उल्लेख किया है। वो इस प्रकार है- ‘ऐसा सामने आया है कि वर्ष 2017-18, 2018-19 तथा 2019-20 में मेडिकल यूजी व पीजी की सीटों में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2018-19 में सिर्फ 220 ओबीसी अभ्यर्थियों को पीजी कोर्स में एडमिशन मिला, जबकि नियमानुसार कुल 7982 सीटों में से इस वर्ग का हक 2152 सीटों पर था।
यूजी की सीटें
इसी तरह ऑल इंडिया कोटे की यूजी की सीटों पर ओबीसी के सिर्फ 66 अभ्यर्थियों को प्रवेश मिला। जबकि ऑल इंडिया कोटे में यूजी यानी एमबीबीएस की कुल 4061 सीटें हैं। ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण के तहत इन सीटों में 1096 सीटों पर ओबीसी अभ्यर्थियों को प्रवेश मिलना था। रामदास ने कहा कि यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि ओबीसी को उनके लिए तय सीटें मिल जाए।
वर्ष 2009 के केस का दिया हवाला
इस मामले में रामदास ने सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2009 के अभय नाथ व अन्य बनाम दिल्ली विश्वविद्यालय के मामले का भी हवाला दिया। जिसमें यह स्पष्ट किया गया था ऑल इंडिया एंट्रेस एग्जाम के जरिए भरी जाने वाली 50 फीसदी सीटों में एससी/एसटी को दिया जाने वाला आरक्षण समाहित होना चाहिए। इस आदेश के अनुपालन में सरकार ने मेडिकल की ऑल इंडिया कोटे की यूजी व पीजी की सीटों में एससी/एसटी के लिए 22.5 फीसदी आरक्षण लागू किया। लेकिन सरकार द्वारा ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण को लागू नहीं कराया गया।