ICMR के पूर्व वैज्ञानिक ने कोरोना वैक्सीन अफवाहों पर लगा दिया विराम, वास्तव में कोविशील्ड वैक्सीन के कितने साइड इफेक्ट ?
-Corona Vaccine AstraZeneca: कोरोना वैक्सीन को लेकर कई तरह की अफवाहें हैं
नई दिल्ली। Corona Vaccine AstraZeneca: कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका इस वक्त सुर्खियों में है। कंपनी ने एक रिपोर्ट में माना कि वैक्सीन से दुर्लभ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यही कंपनी कोविशील्ड वैक्सीन भी बनाती है। इस खबर के सामने आने के बाद से नागरिकों में डर का माहौल है।
वैक्सीन को लेकर कई तरह की अफवाहें हैं। इस बीच आईसीएमआर (ICMR) के एक पूर्व वैज्ञानिक ने वैक्सीन (Corona Vaccine AstraZeneca) को लेकर चल रही अफवाहों पर विराम लगाते हुए कहा है कि कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट बहुत कम होते हैं, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. आर. गंगा केतकर (Former scientist Dr. R. Ganga Ketkar) ने कहा थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ थ्रोम्बोसिस, जो रक्त के थक्के जमने की समस्या का कारण बनता है, दवा लेने के 5 से 30 दिनों के भीतर हो सकता है।
कोरोना वैक्सीन से अब कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा। कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका (Corona Vaccine AstraZeneca) ने माना है कि वैक्सीन से बहुत कम लोग बीमार पड़ सकते हैं। टीके के फायदे नुकसान से अधिक हैं। जितने अधिक लोग टीका लगवाएंगे, टीटीएस का खतरा उतना ही कम होगा। अंत में उन्होंने यह भी कहा, ‘वैक्सीन विकसित होने के बाद भी वैज्ञानिक उसकी सुरक्षा पर नजर रखते हैं।
किसी भी दवा या टीके के कुछ दुर्लभ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन हमें लाभों को भी याद रखना होगा। वैक्सीन निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। कुछ लोगों ने दावा किया कि उनके टीके से रक्त के थक्के जमने की बीमारी (टीटीएस) हुई और लोगों की मौत हो गई। कोविशील्ड वैक्सीन का निर्माण एस्ट्राजेनेका की अनुमति से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया गया था।
डॉ. केतकर का कहना है कि अफवाहों को दूर करना जरूरी है। उनका कहना है कि लोग चिंतित होकर गूगल पर सर्च करते हैं और गलत सूचना का शिकार हो जाते हैं। अगर उनके मन में कोई नकारात्मक विचार है तो इसका असर टीकाकरण पर भी पड़ सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक एस्ट्राजेनेका ने कानूनी दस्तावेजों में स्वीकार किया है कि उसकी वैक्सीन बहुत ही दुर्लभ मामलों में टीटीएस का कारण बन सकती है। टीटीएस के दुर्लभ जोखिम के बावजूद कोविड-19 पर एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि भारत में 90 प्रतिशत लोगों को दी गई कोविशील्ड वैक्सीन ने अच्छा काम किया है।