दो साल में किसानों के बेहतर काम हुआ, डॉ. रमन स्मृतिलोप का शिकार : धनेंद्र साहू
रायपुर/नवप्रदेश। पूर्व मुख्यमंत्री (Former cm) और भाजपा (BJP) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह (National Vice President Dr. Raman Singh) स्मृति (Memory loss) लोप का शिकार हो गए हैं।
वरिष्ठ कांग्रेस और किसान नेता धनेंद्र साहू (Farmer leader Dhanendra Sahu) ने कहा है कि ऐसा लगता है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली ऐतिहासिक हार का सदमा वे बर्दाश्त नहीं कर पाए हैं और इसका असर उनकी मानसिक स्थिति पर पड़ा है।
अभी दो साल भी नहीं बीते हैं और वे भूल गए हैं कि उनके कार्यकाल में किसान पूरे प्रदेश में सड़कों पर उतर आए थे और उनकी ऐसी दुर्दशा हो गई थी कि प्रदेश में हर दिन औसतन चार किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो गए थे। अब वे अचानक किसान हितों की बात करने लगे हैं।
रायपुर में जारी एक बयान में उन्होंने कहा है रमन सिंह ने स्वयं के शासनकाल में घोषणा पत्र के एक-एक दाना धान की खरीद के वादों को कचरे में फेंकते हुए मात्र 10 क्विंटल की धान खरीदने का निर्णय लिया था। जब कांग्रेस की अगुवाई में किसानों ने आंदोलन किया और सोसाइटी में धान खरीदी का बहिष्कार किया तब विवश होकर रमन की सरकार ने 15 क्विंटल धान खरीदने का निर्णय लिया था।
उन्होंने पूछा है कि 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने हर साल 300 ? प्रति क्विंटल बोनस और 2100 ? प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य देने का संकल्प लिया था। लेकिन वह वादा पूरा नहीं किया तो आज भाजपा किस मुंह से वादाखिलाफी की बात कर रही है?
उनके वादे के मुताबिक किसानों को हर साल 2400 ? मिलने थे लेकिन इस वादे के सात साल बाद भी केंद्र की भाजपा सरकार ने धान का समर्थन मूल्य मात्र 1815 ? प्रति क्विंटल ही किया है. वे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और इस नाते उन्हें बताना चाहिए कि किसान की आय दोगुनी करने के नरेंद्र मोदी जी के वादे का क्या हुआ?
धनेंद्र साहू ने कहा है कि डॉ रमन सिंह जी अपने गिरेबान में झांक कर देखें कि उनके कार्यकाल में कुशासन के चलते छत्तीसगढ़ में लाखों एकड़ खेत किसानों ने खेती में घाटे के कारण बेच दिए। लाखों किसान भूमिहीन मजदूर बन गए। खेती का रकबा घट गया था। उस समय किसानों की चिंता रमन सिंह जी को नहीं हुई? उनकी पार्टी को नहीं हुई?
उन्होंने कहा है कि कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के फैसलों ने किसानों में एक नई उम्मीद जागी है। लोग खेती किसानी की ओर वापस लौट रहे हैं। तब रमन सिंह और उनकी पार्टी के नेताओं के मन में सांप क्यों लोट रहे हैं? सत्ता छिन जाने के अफ़सोस में वे यह न भूलें कि किसान राजनीति से परे है और उसकी खुशी में ही देश की खुशी है।