Fish Production Chhattisgarh : 22 महीनों में जिले में 22 हजार 805 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन, किसानों की आमदनी में हुई वृद्धि

Fish Production Chhattisgarh

Fish Production Chhattisgarh

मत्स्य पालन अब केवल पोषण सुरक्षा का साधन नहीं रहा, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन का माध्यम बन चुका है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शासन की नीतियों और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से राज्य में (Fish Production Chhattisgarh) मत्स्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।

पिछले 22 महीनों में जशपुर जिले में कुल 22 हजार 805 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन हुआ है। योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से जिले में मत्स्य बीज स्पॉन उत्पादन 18.50 करोड़, मत्स्य बीज स्टे.फ्राय उत्पादन 2.55 करोड़ और मत्स्य बीज संचयन 2.94 करोड़ तक पहुंचा है। शासन द्वारा किसानों को आधुनिक तकनीकों के उपयोग का प्रशिक्षण और अनुदान राशि प्रदान की जा रही है, जिससे ग्रामीण किसान आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

Fish Production Chhattisgarh 6,904 हितग्राही लाभान्वित

सरकार की योजनाओं से ग्रामीण स्तर पर मत्स्य पालन को बढ़ावा मिला है। (Matsya Jeevi Bima Yojana) के अंतर्गत अब तक 6 हजार 904 मछुआरों को दुर्घटना बीमा योजना का लाभ दिया गया है। 77.677 हेक्टेयर ग्रामीण तालाबों और 295.270 हेक्टेयर जलाशयों का पट्टा आबंटित किया गया है। साथ ही 8 मछुआ सहकारी समितियों को नई योजना के अंतर्गत अनुदान स्वीकृत हुआ है।

झींगा पालन में 55 इकाइयों की स्थापना

राज्य में मत्स्य व्यवसाय को विविध बनाने के लिए झींगा पालन को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। अब तक 55 इकाइयों की स्थापना की जा चुकी है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के 63 हितग्राहियों को मौसमी तालाबों में मत्स्य बीज संवर्धन का लाभ दिया गया है। 817 लाभार्थियों ने 50 प्रतिशत अनुदान पर फिंगरलिंग संचयन किया है। वहीं 430 हितग्राहियों को नाव-जाल और 227 लाभार्थियों को फुटकर मछली विक्रय योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की गई है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना बनी नीली क्रांति का आधार

(Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) के अंतर्गत मत्स्य पालन क्षेत्र में “नीली क्रांति” लाने की दिशा में कार्य हो रहा है। इस योजना का उद्देश्य मत्स्य उत्पादन बढ़ाना, निर्यात को दोगुना करना और रोजगार के अवसर सृजित करना है। इसके अंतर्गत मछुआरों और मत्स्य पालकों को आधुनिक उपकरण, बुनियादी सुविधाएं और वित्तीय सहायता दी जा रही है। आकस्मिक मृत्यु, स्थायी विकलांगता या अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में बीमा सुरक्षा भी दी जाती है। इसके अतिरिक्त मत्स्य पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए ऋण पर सब्सिडी की सुविधा भी उपलब्ध है।

अनुदान राशि और तकनीकी सहायता

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति और महिला हितग्राहियों को 60% तक तथा सामान्य और अन्य पिछड़ा वर्ग के हितग्राहियों को 40% तक अनुदान दिया जा रहा है। इस योजना के तहत जिले में 41 हेक्टेयर में स्वयं की भूमि पर तालाब निर्माण, 7.6 हेक्टेयर में संवर्धन पोखर निर्माण और 11 बायोफ्लॉक पॉण्ड लाइनर इकाइयों की स्वीकृति दी गई है। साथ ही 162 हितग्राहियों को “सेविंग कम रिलीफ योजना” के तहत सहायता प्राप्त हुई है।

जशपुर बना मत्स्य उत्पादन का अग्रणी जिला

राज्य में जशपुर जिला मत्स्य उत्पादन और प्रशिक्षण गतिविधियों में अग्रणी बनता जा रहा है। शासन द्वारा हर ब्लॉक स्तर पर मछुआरों को प्रशिक्षण और विपणन सहयोग उपलब्ध कराया जा रहा है। महिला मत्स्य पालकों के लिए विशेष अनुदान योजनाएं शुरू की गई हैं। स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से मछली विपणन और प्रोसेसिंग इकाइयों को सशक्त किया जा रहा है, जिससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।