Fiscal Monetary Measures : राजकोषीय और मौद्रिक उपायों से निजी निवेश को मिलेगी गति
Fiscal Monetary Measures
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेतों के बीच आरबीआई ने अपने नवंबर बुलेटिन में साफ कहा है कि इस साल लागू किए गए राजकोषीय और मौद्रिक उपाय (Fiscal Monetary Measures) निजी क्षेत्र के निवेश को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
वैश्विक चुनौतियों और अनिश्चितताओं के बावजूद घरेलू अर्थव्यवस्था में मजबूती, स्थिरता और वृद्धि के नए संकेत उभरकर सामने आए हैं। बुलेटिन में कहा गया है कि सरकार और आरबीआई द्वारा उठाए गए समन्वित कदम दीर्घकाल में आर्थिक ढांचे को और मजबूत करेंगे तथा विकास की रफ्तार बनाए रखेंगे।
बुलेटिन के ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया है कि अक्टूबर माह के उच्च-आवृत्ति संकेतक—जैसे पीएमआई, जीएसटी संग्रह, बिजली खपत और ई-वे बिल—यह दर्शाते हैं कि भारत के मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र में मजबूत विस्तार जारी है। त्योहारों की मांग, बेहतर उत्पादन क्षमता और सुधारों का असर इन आंकड़ों में साफ नजर आता है।
आरबीआई ने कहा कि मुद्रास्फीति ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ चुकी है और लक्ष्य से काफी नीचे बनी हुई है, जिससे आर्थिक गतिविधियों के लिए अनुकूल माहौल तैयार हुआ है। वित्तीय संसाधनों का प्रवाह सुचारू है और बैंकिंग व कॉर्पोरेट सेक्टर में तरलता का बेहतर माहौल निजी निवेश को मजबूत आधार प्रदान करेगा। राजकोषीय और मौद्रिक कदम (Fiscal Monetary Measures) निवेश भावना को और प्रोत्साहित करेंगे।
बुलेटिन में यह भी माना गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव और उच्च ब्याज दरों जैसी अनिश्चितताएं अभी भी बनी हुई हैं, हालांकि अक्टूबर के बाद इनमें कुछ नरमी देखी गई है। इसके बावजूद वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी को लेकर टिकाऊपन और वित्तीय स्थिरता पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताएं कायम हैं।
कुल मिलाकर, भारतीय अर्थव्यवस्था को मिले हालिया संकेत यह दर्शाते हैं कि मजबूत घरेलू मांग, सुधरती वित्तीय स्थितियां और संतुलित नीति निर्णय भारत की विकास कहानी को स्थिरता और गति दोनों दे रहे हैं।
