बातों…बातों में…! सुकांत राजपूत की कलम से…गुफ्तगू फिर सीएम से…
वन डे, स्पेशल डे…
पहला ऐसा संडे (First such Sunday) रहा जिसमें एक ही दिन कितना (which same day How much) कुछ हुआ। रविवार 21 जून (Sunday 21 June) को फादर्स डे, ग्रहण डे, अंतर्राष्ट्रीय योगा डे मना। इन सबसे ज्यादा कौतुहल भरा दिन कांग्रेस डे के तौर पर बीता। सुबह से लेकर देर रात तक कांग्रेसियों को यह समझ नहीं आया कि इतने सारे स्पेशल डे को वन-डे में कैसे सेलिब्रेट करें।
कांग्रेस डे से मतलब है निगम, मंडल आयोग में नियुक्ति के लिए हुई अहम बैठक का। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया की मैराथन बैठक के बाद आला पार्टी नेताओं से गुफ्तगू फिर सीएम से नामों को लेकर फाइनल मीटिंग। हालाकि कई ऐसे भी दावेदार हैं जो ग्रहण में पदों की चर्चा से सशंकित भी हैं।
ब्राम्हण, ग्रहण व दान…
कोई शख्स चाहे कितना ही आला औहदा हासिल कर ले, लेकिन कौम का खौफ जाता नहीं। भले ही हिंदुत्व के नाम पर बीजेपी बदनाम है। परंतु परंपरा, धर्म और नियमों में कांग्रेस भी बीजेपी के कान काटती है। ऐसा ही एक वाक्या आज हुआ जब प्रदेश प्रभारी निगम, मंडल, आयोग के लिए बैठकों का दौर शुरु किए। दरअसल आज निगम-मंडल की कमान सम्हालने कई ब्राम्हण लालायित दिखे। लेकिन उनके दिलो दिमाग में ग्राहण को लेकर भी पशोपेश में रहे।
ग्रहण काल में इस सब प्रक्रिया व अपना नाम आगे करने से ब्राम्हण दावेदार हिचकिचाते भी रहे और राशियों के मुताबिक सशंकित भी. क्योंकि कहीं दौड़ से वे बाहर न हो इसलिए ग्रहण में अच्छा काम शुरु नहींं करना चाह रहे हैं। फिर भी खाटी ब्राम्हण नेताओं ने दान के तौर पर काट कर अपना नाम आगे कर ही दिया है।
इतने ब्राम्हण…असंभव!
एक अनार और सौ बीमार वाली कहावत निगम-मंडल के दावेदारों के लिए फिट बैठती है। क्योंकि 11 निगम-मंडलों में तैनाती होनी है। पहले ही पार्टी के दिग्गज नेता तय कर चुके हैं पदों का बंटवारा 5 संभागों के लोगों में अनिवार्य तौर पर होना है। बचे तब फिर चाल, चेहरा और चरित्र देखकर पद देंगे। चुनाव में ऐतिहासिक जीत एक तरह से संगठन समेत प्रदेश प्रभारी और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए चुनौती भी पैदा कर रही है।
क्योंकि निगम और मंडल के लिए सर्वाधिक दावेदार ब्राम्हण नेता हैं। इनमें विधायक से लेकर संगठन व चेहतों की एक पूरी पलटन भी है। हालाकि निगम-मंडल के लिए अधिकतम 2 ब्राम्हण नेताओं को ही लिया जाना संभव है। इसमें सबसे बड़े नामों में सत्यनारायण शर्मा, अमितेश शुक्ला, अरुण वोरा, विकास उपाध्याय, धनेंद्र साहू, रामपुकार सिंह हैं। इसके अलावा शैलेष नितिन त्रिवेदी, घनश्याम राजू तिवारी, विनोद तिवारी, राजेन्द्र तिवारी, आलोक शुक्ला, विकास तिवारी जैसे नाम भी हैं। इतने ब्राम्हणों में सभी को लेना तो असंभव है।
इनके भाग में छींका…
मुसीबत यह है कि दावेदार 3 दर्जन से ज्यादा हैं। सभी पार्टी में किसी के चेहते, किसी के रिश्तेदार तो किसी को पूर्व में आश्वासन मिल चुका है। निगम-मंडल अध्यक्षों की संख्या 11 है, प्रदेश के सभी 5 संभागों से लोगों को चुनना है। ऐसे में जातिगत समीकरण, पार्टी के वफादार और वरिष्ठ शामिल हैं। इसमें खास नामों पर भी तवज्जो की चर्चा है।
जिसमें प्रभारी पीएल पुनिया के करीबी सन्नी अग्रवाल, पूर्व महापौर किरणमई नायक, नरेश डाकलिया, शैलेष नितिन त्रिवेदी, अटल श्रीवास्तव, विभा साहू जैसे नामों को तय माना जा रहा है। हालाकि निगम-मंडल के नामों की सूची तो तय कर ली गई है लेकिन घोषणा क्रमश: होगी। कहा जा रहा है कि तीन चरणों में नामों का ऐलान होगा ताकि पहले और दूसरे में जिनके नाम छूटते हैं तो वो किस तरह रिएक्ट करेंगे। जो जितने जोर से रोएगा तब उन्हें दूध पिलाने की तैयारी है।