गोंडवाना विद्यापीठ का देश में पहला प्रयोग, डिग्री भी मिलेगी और रोजगार से जुडऩे प्रशिक्षण भी

गोंडवाना विद्यापीठ का देश में पहला प्रयोग, डिग्री भी मिलेगी और रोजगार से जुडऩे प्रशिक्षण भी

First experiment of Gondwana Vidyapeeth in the country, degree will also be given and training related to employment

Bamboo Artisan Meenakshi Mukesh Walke

-स्नातक शिक्षा छोडऩे वालों को गांव में ही बीए की डिग्री

-विश्व विख्यात बैंबू आर्टिजन मिनाक्षी मुकेश वालके हैंडीक्राफ्ट विषय पढ़ा रही

  • चार साल के डिग्री कोर्स वाले रात्री कालीन मॉडल कॉलेज में पढ़ रहे

नागपुर। Bamboo Craft: घने जंगल वाले नक्सल प्राभावित आदिवासी क्षेत्र में रोजग़ार कायम रखते हुए युवाओं को आधुनिक कौशल रोजगाराभिमुख डिग्री शिक्षा उनके गांव में ही देने का मॉडल गोंडवाना विद्यापीठ ने बनाया है। डिग्री शिक्षा बिच में ही छोडऩे का गंभीर अनुपात कम कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुचारू करने हेतू इसे बनाया गया है। फिलहाल जांभली गांव में 22 युवा इस चार साल के डिग्री कोर्स वाले रात्री कालीन मॉडल कॉलेज में पढ़ रहे है।

इतिहास, वन प्रबंधन, वन उपज, जंगली सब्जियां और बैंबू क्राफ्ट इन विषयों का समावेश कर बैचलर ऑफ आट्र्स डिग्री उन्हे दी जाएगी। इसके लिए पीएचडी प्राप्त प्रोफेसर के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर की बांबू डिजाईनर मीनाक्षी मुकेश वालके भी मेहनत कर रही है।

उन्नत भारत अभियान अंतर्गत राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अमल करते हुए वाइस चांसलर प्रशांत बोकारे ने यह संकल्पना रखी है। कॉलेज आपके द्वार की घोषणा करते हुए आने वाले समय में 100 से अधिक गावों तक यह मॉडल कॉलेज ले जाने का लक्ष्य रखा है। इसी वर्ष यह घोषणा कर कुलगुरु डॉ. बोकारे ने महाराष्ट्र का पहला विद्यापीठ बनने का गौरव प्राप्त किया है।

बदलेगी नक्सल प्रभावित क्षेत्र की तस्वीर

महाराष्ट्र में गढ़चिरोली नक्सल गतिविधियों के लिए जाना जाता है। 90 प्रतिशत गोंड-माडिय़ा जनजाति यहां उद्योग, व्यवसाय और रोजगार की बाट जोह रही है। यहां बैंबू (बॉस) का समृद्ध जंगल है। परन्तु इसका आधुनिक पद्धति से शाश्वत रोजगार के लिए उपयोग कैसे करें, इसके ज्ञान की कमी है। आज बैंबू दुनियाभर में ‘फ्यूचर मैटेरियल’ के रूप में जाना जाता है। प्लास्टिक और लोहे को सक्षम विकल्प के रूप में ही नहीं चावल, चाय पत्ती, अचार जैसे खाद्य के रूप में भी बैंबू अपना विस्तार कर चुका है।

दो हजार से अधिक विद्यार्थियों को मिलेगी रोजगार वाली डिग्री

विश्वास विद्यापीठ कुलगुरू डॉ. प्रशांत बोकारे ने कहा स्थानीय आदिवासी जनजाति की रगो में बैंबू कला जन्मजात है। इस हुनर को आधूनिक ज्ञान और कौशल से तराश कर युवाओं को उद्योगऔर उन्नत कारीगर बनाने का प्रयास गोंडवाना विद्यापीठ अपने इस प्रयोग से करेगा। भविष्य में 2 हज़ार से ज्यादा इस तरह के विद्यालय 100 गावों में होंगे। जिससे इस पिछड़े जिले की तस्वीर बदलेगी।

विश्व विख्यात आर्टिजन सीखा रही बैंबू के गुर

इस कॉलेज में विश्व विख्यात बैंबू आर्टिजन मिनाक्षी मुकेश वालके हैंडीक्राफ्ट विषय पढ़ा रही है। ज्ञात हो कि दो वर्ष पूर्व कनाडा का अवार्ड पाने वाली मिनाक्षी को मार्च 2023 में इंग्लैंड की संसद हाऊस ऑफ कॉमन्स में शी इंसपिरेस अवॉड्र्स मिला है। बीते 6 वर्षों में 4 राज्यों की 1100 से ज्यादा आदिवासीं-वंचीत महिलाओं को मिनाक्षी ने आधुनिक बैंबू कला सिखाई है। द बांबु लेडी ऑफ महाराष्ट्र के नाम से प्रख्यात मीनाक्षी मुकेश वालके बिए डिग्री के छात्रों में भी लोकप्रिय हुई है। मिनाक्षी ने बैंबू डिजाईन में 5 नये प्रयोग किए बैंबू क्युआर कोड स्कैनर यह देश का पहला मॉडल बनानेवाली मीनाक्षी वालके ने बैंबू राखी दुनियां भर में लोकप्रिय की है।

JOIN OUR WHATS APP GROUP

डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *