आज का बेबाक : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर फिल्मकार खुला खेल फर्रूखाबादी खेल रहे हैं
Filmmakers are playing an open game in the name of freedom of expression Farrukhabadi: केन्द्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड तो सफेद हाथी बनकर रह गया है हिंसा और अश्लीलता से भरी फिल्मों को और वाहियात गानों को आंख मूंदकर प्रदर्शन की अनुमति दे देता है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर फिल्मकार खुला खेल फर्रूखाबादी खेल रहे हैं और हिंदू धर्म व संस्कृति की रक्षक कहलाने वाली भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार मूकदर्शक बन कर तमाशा देख रही है।
तेलंगाना की कांग्रेसी सरकार साधुवाद की पात्र है जिसने पंजाबी कलाकार दलजीत के अश्लीलता और हिंसा से भरे गानों पर रोक लगा दी है। सेंसर बोर्ड ऐसा नही कर सकता तो उसे भंग कर देना चाहिए।