Farmer Income Growth : जल बचत से बदली किसानों की तस्वीर

Farmer Income Growth

Farmer Income Growth

जल संरक्षण, फसल विविधीकरण और किसान आय वृद्धि के मोर्चे पर धमतरी जिले ने उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की है। जिला प्रशासन और कृषि विभाग (Farmer Income Growth ) के सुनियोजित प्रयासों से परंपरागत फसल चक्र से आगे बढ़ते हुए कम जल उपयोग वाली और अधिक लाभकारी रबी फसलों को बढ़ावा दिया गया है। इसके सकारात्मक परिणाम अब ज़मीन पर साफ़ दिखाई दे रहे हैं।

रबी वर्ष 2025–26 में, ग्रीष्मकालीन धान की अत्यधिक जल खपत को ध्यान में रखते हुए 2024–25 में 24,200 हेक्टेयर में की जा रही खेती को घटाकर 15,000 हेक्टेयर तक लाने की ठोस कार्ययोजना लागू की गई। इससे भू-जल संरक्षण को मजबूती मिली और किसानों को वैकल्पिक, लाभकारी फसलों की ओर प्रेरणा मिली।

275 एकड़ में मूंगफली की खेती: भरोसे की नई फसल

फसल चक्र परिवर्तन का सबसे सशक्त संकेत मूंगफली उत्पादन में दिखा। जहाँ पिछले वर्ष केवल 10 एकड़ में मूंगफली बोई जाती थी, वहीं इस वर्ष विकासखंड मगरलोड के बुढ़ेनी क्लस्टर में 275 एकड़ में मूंगफली की खेती की जा रही है। यह बदलाव किसानों के बढ़ते भरोसे और बेहतर लाभ की उम्मीद को दर्शाता है।

मक्का की बोनी में उछाल: 699 एकड़ तक विस्तार

मक्का उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष 430 हेक्टेयर के मुकाबले इस वर्ष 699 एकड़ में मक्का बोया गया। विकासखंड नगरी के गट्टासिल्ली, बोराई और उमरगांव क्लस्टर मक्का उत्पादन के प्रमुख केंद्र बनकर उभरे हैं।

चना रकबा बढ़कर 16,189 हेक्टेयर

चना उत्पादन में जिले ने नई ऊँचाइयाँ छुई हैं। पिछले वर्ष 15,830 हेक्टेयर से बढ़कर इस वर्ष 16,189 हेक्टेयर में चना बोया गया। विकासखंड कुरूद और धमतरी में 600 से 1,200 हेक्टेयर के बड़े चना क्लस्टरों के विकास से उत्पादन के साथ विपणन की संभावनाएँ भी मज़बूत हुई हैं।

4,660 हेक्टेयर में दलहन–तिलहन, रागी में भी बढ़त

दलहन–तिलहन को बढ़ावा देने के तहत सरसों का रकबा 2,590 हेक्टेयर से बढ़कर 4,660 हेक्टेयर हो गया, जबकि मसूर 50 हेक्टेयर से बढ़कर 211 हेक्टेयर तक पहुँच गया। लघु धान्य फसलों में रागी का रकबा 10 हेक्टेयर से बढ़कर 150 हेक्टेयर होना जिले की दूरदर्शी कृषि नीति का प्रमाण है।