किसान अपने खेत का पेड़ काटे तो वन विभाग को नहीं कार्रवाई का अधिकार, गरियाबंद के बहाने जानें और भी नियम, पीसीसीफ ने बताया...

किसान अपने खेत का पेड़ काटे तो वन विभाग को नहीं कार्रवाई का अधिकार, गरियाबंद के बहाने जानें और भी नियम, पीसीसीफ ने बताया…

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पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी ने दी अवैध पेड़ कटाई पर नियम की जानकारी

राजस्व भूमि के पेड़ की अवैध कटाई पर कार्रवाई का अधिकार राजस्व अफसर को ही

वन अमले की लीगल ड्यूटी नहीं, कार्रवाई के बारे में राजस्व अफसर को बताना होगा

सीधे कार्रवाई पर वनकर्मी-अफसर के खिलाफ कोर्ट भी जा सकता है पेड़ काटने वाला व्यक्ति

रायपुर/गरियाबंद /नवप्रदेश। किसान (farmer) यदि अपने खेत का पेड़ काटता (cutting of tree) है तो उसके खिलाफ सीधे कार्रवाई करने का कानूनी अधिकार वनविभाग (forest department action on illegal cutting of tree) को नहीं  है। हालांकि नैतिक जिम्मेदारी समझकर वनविभाग के अधिकारी-कर्मचारी कार्रवाई की पहल कर सकते हैं। उन्हें इस संबंध में राजस्व अधिकारियों को सूचित करना होगा। फिर राजस्व अधिकारी संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई कर सकता है।

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यह जानकारी प्रधान मुख्य वन संरक्षक  राकेश  चतुर्वेदी (cg pccf rakesh chaturvedi) ने नवप्रदेश से बातचीत में दी। उन्होंने  कहा कि यही नियम राजस्व भूमि के वनों के लिए भी लागू होता है। वन संरक्षण कानून के तहत सभी राज्यों के लिए यही व्यवस्था है। चतुर्वेदी ने बताया कि यदि कोई किसान (farmer) या अन्य व्यक्ति कलेक्टर या सक्षम राजस्व अधिकारी की बिना अनुमति के पेड़ काटता है तो उस पर सीधे कार्रवाई करने कानूनी अधिकार वनविभाग (forest department action on illegal cutting of tree) के अधिकारी कर्मचारी को नहीं।

लीगल ड्यूटी नहीं नैतिकता के आधार पर पहल कर सकता है

यह उसकी लीगल ड्यूटी नहीं है। मॉरल  ड्यूटी के तहत वह ऐसे व्यक्ति पर कार्रवाई की पहल कर सकता है। लेकिन इस बारे में उसे कलेक्टर या सक्षम राजस्व अधिकारी को सूचित करना होगा। ऐसी अवैध कटाई की गई लकड़ी वन संपदा में आने के कारण डिपो में जमा होगी, लेकिन कार्रवाई राजस्व अधिकारी ही करेंगे। नवप्रदेश के सवाल पर पीसीसीएफ चतुर्वेदी (cg pccf rakesh chaturvedi) ने यह भी बताया कि राजस्व भूमि के पेड़ की कटाई पर वन विभाग द्वारा सीधे कार्रवाई किए जाने की  स्थिति में बिना अनुमति लकड़ी काटने वाला व्यक्ति उस वन अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कोर्ट भी जा सकता है। क्योंकि यह वन विभाग की लीगल ड्यूटी नहीं है।

गरियाबंद के पांडूका में अवैध कटाई का मामला बना पड़ताल की वजह

-रेंजर के बयान से उपजे सवाल

दरअसल  गरियाबंद के पूर्व वन मंडल के पांडूका वनपरिक्षेत्र  में  पेड़ों की अवैध कटाई का मामला सामने  आया है। यहां एकड़ में पेड़ों की अवैध कटाई की गई है। इस बारे में नवप्रदेश द्वारा वनपरिक्षेत्र अधिकारी संजीत मरकाम से बात करने पर उन्होंने बताया कि पहले यह पता करना होगा कि इस  मामले में पहले यह पड़ताल करना जरूरी है कि संबंधित पेड़ वन विभाग की भूमि पर के हैं या राजस्व भूमि के।

रेंजर की इसी बात ने हमें नियम जानने के लिए मजबूर कर दिया क्योंकि आम तौर पर यदि किसान अपने खेत या घर में खुद का लगाया पेड़ बिना अनुमति के काट ले और किसी वन अधिकारी-कर्मचारी को पता चल जाए तो वह मौके पर पहुंच किसान को कानून कायदे बताकर कार्रवाई की बात करते हैं। इस डर से किसान अपने खेतों में पहले जैसे पेड़ भी नहीं लगा रहे।

-डीएफओ भी बोले राजस्व तथा वन भूमि का फंस जाता है पेंच

बाद में डीएफओ श्री अग्रवाल से बात करने पर उन्होंने बताया कि पांडुका वन परिक्षेत्र में वन विभाग के अमले ने जांच की है । रेंजर के प्रतिवेदन के अनुसार तीन एकड़ में  अवैध कटाई हुई है। लेकिन बड़े पेड़ नहीं कटे हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कई बार पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में यह पेंच फंस जाता है कि संबंधित भूमि वनविभाग की है या राजस्व विभाग की है। गरियाबंद में अन्य जिलों की तुलना में राजस्व वन अधिक है।

राजस्व  भूमि  पर स्थित पेड़ों की कटाई पर हमें सीधे कार्रवाई का अधिकार नहीं है। फिर भी मैंने जबसे यहां का पदभार संभाला है तब से वन अमले को किसी भी भूमि के पेड़ों की अवैध कटाई के खिलाफ सक्षम राजस्व अधिकारी के माध्यम से कार्रवाई की पहल करने के लिए कहा है। इस तरह कई अपराधियों को जेल भी भेजा जा चुका है। जहां तक  पांडूका वन परिक्षेत्र में अवैध कटाई का सवाल है तो यहां आरोपियों की पहचान की जा रही है। रेंजर के समेत फॉरेस्ट विभाग की टीम कार्रवाई कर रही है। मैं खुद भी वहां जाऊंगा।

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