प्रसिद्ध जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने शरीर त्यागा

Acharya Shri Vidyasagar Maharaj
-चंदगिरी में पिछले छह माह से रूके, वह कुछ माह से अस्वस्थ थे
रायपुर/नवप्रदेश। Acharya Shri Vidyasagar Maharaj: देश के प्रसिद्ध जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में डोगरगढ़ के चंदगिरी में बीती रात्रि शरीर त्याग दिया और ब्रम्हलीन हो गए। मिली जानकारी के अनुसार जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज राजधानी रायपुर से लगभग 100 किमी दूर डोगरगढ़ के चंदगिरी में पिछले छह माह से रूके हुए थे।वह काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। तीन दिनों से उऩ्होने अन्न जल त्याग दिया था और उपवास पर थे। रात्रि में लगभग ढ़ाई बजे उन्होने शरीर त्याग दिया।
आचार्य जी का जन्म 1946 में कर्नाटक के बेलगाम जिले में हुआ था।उन्होने दीक्षा राजस्थान में ली थी।वह हिन्दी और कन्नड सहित कई भाषाओं के जानकार थे।वह जैन समाज के शीर्षस्थ मुनियों में थे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सोशल साइट एक्स पर कहा कि छत्तीसगढ़ सहित देश-दुनिया को अपने ओजस्वी ज्ञान से पल्लवित करने वाले आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को देश और समाज के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्य, उनके त्याग और तपस्या के लिए युगों-युगों तक स्मरण किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डा.रमन सिंह ने शोक व्यक्त करते हुए सोशल साइट एक्स पर कहा कि मुझे कई बार विद्यासागर महाराज का आर्शीवाद लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।हथकरघा और गौ सेवा का उऩ्होने जो अभियान चलाया वो भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने वाला था। आचार्य जी का जीवन जीवो के कल्याण के लिए था।वे भले ही भौतिक रूप से उपस्थित नही हो लेकिन उनकी शिक्षा और संस्कार हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे।