Fake Parties : फर्जी पार्टियों पर प्रतिबंध लगे
Fake Parties : चुनाव आयोग की शिकायत के आधार पर आयकर विभाग ने देश के आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों में छापेमारी कर ऐसी कई फर्जी राजनीतिक पार्टियों का पर्दाफाश किया है जो सिर्फ कागजों पर बनी हुई थी लेकिन लाखों करोड़ों का चुनावी चंदा वसूल कर काले धन को सफेद करने का गोरख धंधा चलाती रही है। भारत में ऐसी अनेक राजनीतिक पार्टियां है जो विभिन्न राज्यों में सिर्फ दो कमरो के दफ्तर से संचालित होती है न तो ये चुनाव लड़ती है और न ही जनता की समस्याओं को लेकर संघर्ष करती है। इनका उद्देश्य सिर्फ चंदा वसूली होता है।
बड़े राजनीतिक दल भी (Fake Parties) इन छुटभैय्ये तथा कथित राजनीतिक पार्टियों का सहयोग लेती है और काले धन को आसानी से सफेद कर लेती है। अब चुनाव आयोग की शिकायत पर ऐसी कागजी राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ आयकर विभाग ने अपनी कार्यवाही तेजी की है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। यह सीधे सीधे मनी लंाड्रिंग का केस बनता है इसलिए आयकर विभाग को ऐसी राजनीतिक पार्टियों की गतिविधियों की प्राथमिक जांच के बाद यह मामला ईडी के हवाले कर देना चाहिए ताकि ऐसी जेबी राजनीतिक पार्टियां संचालित कर चुनावी चंदे के नाम पर रकम का गोलमाल करने वाली इन पार्टियों के नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्यवाही हो सके।
ऐसी तमाम राजनीतिक पार्टियों को काली सूची में डाल देना चाहिए और इनकी मान्यता भी रद्द की जानी चाहिए। इसके लिए चुनाव आयेाग को कारगर पहल करनी चाहिए। वैसे भी हमारे देश में राजनीतिक दलों का दलदल बनता जा रहा है। कुकुरमुत्तों की तरह राजनीतिक दल उगते जा रहे है और वे सिर्फ चंदाखोरी में ही लगे रहते है।
इन राजनीतिक पार्टियों (Fake Parties) का कोई योगदान नहीं होता बल्कि ये पैसे लेकर टिकट बेचते है और चुनाव में प्रत्याशियों की अनावश्यक भीड़ बढ़वाते है जिनकी जमानते तक जप्त हो जाती है। ऐसी तमाम पार्टियों की चुनाव आयोग जांच करें और जो भी पार्टियों चुनाव के प्रति गंभीर नहीं है ऐसी सभी पार्टियों की मान्यता रद्द करें।