Fake NCERT Books : 40 लाख की फर्जी ‘शिक्षा’…एनसीईआरटी की नकली किताबों का भंडाफोड़…शिक्षा तंत्र पर सवाल

Fake NCERT Books : 40 लाख की फर्जी ‘शिक्षा’…एनसीईआरटी की नकली किताबों का भंडाफोड़…शिक्षा तंत्र पर सवाल

Fake NCERT Books

Fake NCERT Books

Fake NCERT Books : बिहार में शिक्षा के नाम पर फरेब का एक बड़ा मामला सामने आया है। एनसीईआरटी की हजारों नकली किताबें, जिनकी कीमत 40 लाख रुपये से अधिक बताई जा रही है, मुजफ्फरपुर के एक गली-मोहल्ले के गोदाम से बरामद की गईं।

पकड़े गए आरोपी कोई हाई-प्रोफाइल गिरोह के सदस्य नहीं, बल्कि स्थानीय पुस्तक विक्रेता हैं, जो शिक्षा के नाम पर मुनाफा और भ्रम का खेल खेल रहे थे।

कहां से मिली नकली किताबें?

छापेमारी शंकर पुस्तक भंडार के मालिक के घर और गोदाम पर हुई।

एनसीईआरटी कोलकाता ऑफिस के लीगल अफसरों ने पहले जानकारी जुटाई और फिर स्थानीय पुलिस को सूचना दी।

जब छापा पड़ा, तो मौके से बीटीबीसी (Bihar Text Book Corporation) की भी नकली किताबें बरामद की गईं।

क्या कहा पुलिस ने?

ग्रामीण एसपी राजेश कुमार सिंह प्रभाकर के अनुसार:- “जिन्हें गिरफ्तार किया गया है, वे पूछताछ में बता रहे हैं कि अधिक मुनाफा कमाने की चाहत में ये नकली किताबें(Fake NCERT Books) छपवा रहे थे। यह शिक्षा के साथ सबसे बड़ा धोखा है।”

शिक्षा के नाम पर व्यापार?

एनसीईआरटी की किताबें देशभर में सरकारी स्कूलों का आधार हैं।

यदि ऐसे नकली संस्करण छात्रों तक पहुँचते हैं, तो यह सीधे उनकी पढ़ाई, समझ और मूल्यांकन को प्रभावित करता है।

इससे ना सिर्फ बच्चों का भविष्य दांव पर है, बल्कि शिक्षा तंत्र की साख भी गंभीर संकट में है।

क्यों यह सिर्फ एक छापेमारी नहीं?

यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं, नैतिक और नीतिगत विफलता की भी निशानी है।

यह सवाल खड़ा करता है – क्या सरकारी प्रकाशनों की छपाई, वितरण और निगरानी प्रणाली इतनी कमजोर है कि कोई भी इसका फर्जी संस्करण(Fake NCERT Books) बनाकर खुलेआम बेच सकता है?

आगे क्या?

फर्जी किताबों का नेटवर्क कितना बड़ा है?

क्या ये अन्य जिलों या राज्यों में भी फैल चुका है?

और सबसे जरूरी – क्या इससे पढ़ाई कर रहे बच्चों का मूल्यांकन रद्द होगा या मान्य रहेगा?

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