Fake Caste Certificate Allegation : जाति प्रमाण पत्र पर 'न्याय की मुहर'...हाईकोर्ट ने कविता रैकवार की पार्षदी बहाल की...जांच व्यवस्था पर उठाए सवाल...

Fake Caste Certificate Allegation : जाति प्रमाण पत्र पर ‘न्याय की मुहर’…हाईकोर्ट ने कविता रैकवार की पार्षदी बहाल की…जांच व्यवस्था पर उठाए सवाल…

जबलपुर, 23 मई। Fake Caste Certificate Allegation : जाति प्रमाण पत्र की वैधता को लेकर उपजे विवाद में भाजपा की महिला पार्षद कविता रैकवार को आखिरकार राहत मिल ही गई है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने संभागीय कमिश्नर के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें उनकी पार्षदी “फर्जी जाति प्रमाण पत्र” के आधार पर शून्य घोषित कर दी गई थी।

दिलचस्प बात यह है कि 28 अप्रैल को ही हाईकोर्ट ने भोपाल की उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद 29 अप्रैल को संभागीय कमिश्नर ने उसी रिपोर्ट के आधार पर रैकवार की पार्षदी रद्द कर (Fake Caste Certificate Allegation)दी। इस निर्णय के खिलाफ कविता रैकवार ने फिर से न्यायालय का रुख किया, जहां से उन्हें फिर से इंसाफ मिला।

हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी:

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल आरोपों के आधार पर किसी का जाति प्रमाण पत्र अवैध नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने पूछा,

“जब पहले ही यह कहा जा चुका था कि आरोपों की जांच जरूरी है, तब जांच के बिना निर्णय क्यों लिया गया?”

इसके साथ ही अदालत ने जांच समिति की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि

“यह जिम्मेदारी आरोप लगाने वाले की है कि वह सबूत दे, न कि आरोप झेल रही महिला से सबूत मांगने की।”

विवाद की जड़ क्या थी?

कविता रैकवार ने 2022 में जबलपुर के वार्ड क्रमांक 24 (हनुमानताल) से पार्षद चुनाव जीतकर जनप्रतिनिधि बनी थीं। यह सीट ओबीसी (महिला) के लिए आरक्षित थी। बाद में आरोप लगाया गया कि वह सामान्य वर्ग की हैं और उन्होंने फर्जी तरीके से ओबीसी का जाति प्रमाण पत्र बनवा कर चुनाव लड़ा।

शिकायत के बाद भोपाल की एक उच्च स्तरीय कमेटी ने जांच की और कथित रूप से कविता से ही सबूत मांगकर प्रमाण पत्र को फर्जी ठहरा दिया, जिसके आधार पर संभागीय कमिश्नर अभय वर्मा ने पार्षदी शून्य कर (Fake Caste Certificate Allegation)दी। हालांकि हाईकोर्ट ने इस फैसले को न केवल गैरकानूनी बताया, बल्कि स्पष्ट किया कि यह फैसला पूर्व में दिए गए न्यायिक निर्देशों की अवहेलना भी था।

अब क्या होगा?

इस फैसले के बाद कविता रैकवार की पार्षदी बहाल कर दी गई (Fake Caste Certificate Allegation)है और यह प्रकरण न्यायिक प्रक्रिया की विवेकपूर्ण समीक्षा और निष्पक्षता का प्रमाण बन गया है।

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