Environmental Protection Board Is Indifferent : CG की चूना पत्थर खदान में हजारों करोड़ का घोटाला, CG पर्यावरण विभाग 4 साल से बेसुध

Environmental Protection Board Is Indifferent : CG की चूना पत्थर खदान में हजारों करोड़ का घोटाला, CG पर्यावरण विभाग 4 साल से बेसुध

Environmental Protection Board Is Indifferent :

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परसवानी-हिरमी माइंस में उत्खनन-विस्तारीकरण के नाम पर गंभीर चूक, चार साल से कई लाख मीट्रिक टन लाइम स्टोन का अवैध उत्खनन जारी

रायपुर/नवप्रदेश। Environmental Protection Board Is Indifferent : छत्तीसगढ़ की धरती खनिज संपदा से लबरेज तो है लेकिन यहां बेतहाशा और बेहिसाब खुदाई कर प्रदेश को खोखला करने वाले बाहरी उद्योगपति मुनाफा कमाकर निकल जा रहे हैं। परसवानी-हिरमी माइंस का एक ऐसा ही मामला सामने आया है। चूना पत्थर खदान में विभागीय नियमों को ताक में रखकर हजारों करोड़ का घोटाला हो गया और छत्तीसगढ़ पर्यावरण विभाग के अफसर, विशेषज्ञ और क़ानूनी सलाहकार बेसुध पड़े रहे। एक क़ानूनी नोटिस के बाद भी महकमा नीम बेहोशी में है।

देश की एक नामचीन औद्योगिक संस्थान जिसकी सीमेंट फैक्ट्रियां भी हैं उसके द्वारा नियमविरुद्ध क्षमता से कई फीसदी ज्यादा खुदाई विगत 4 साल से अनवरत कर की जा रही हैं। केंद्र के विस्तारीकरण नियमों और आदेश की अनदेखी करते हुए महज औद्योगिक घराने के प्रभाव और कंपनी के लाइजनर्स के इशारे पर छत्तीसगढ़ पर्यावरण विभाग के जिम्मेदार आपत्ति करने के बजाये पेट भरकर सोते रहे। नतीजा यह कि एक सीमेंट कंपनी 4.2 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष खुदाई के लिए अधिकृत थी। लेकिन कंपनी ने नियम विरुद्ध ढाई गुना से ज्यादा यानि कि 10 लाख मीट्रिक टन उत्खनन कर रही है।

यह सनसनीखेज मामला केंद्रीय वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से लेकर छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल से जुड़ा हुआ है। बलौदा बाजार अंतर्गत परसवानी-हिरमी में लाइम स्टोन यानि की चुना पत्थर खदान में कंपनी के पास 4.2 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष उत्खनन का अधिकार है। जानकारी के मुताबिक कंपनी ने अपनी निर्धारित उत्खनन क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रक्रिया शुरू की और संबंधित खदान में बढ़ी हुई खुदाई क्षमता की अनुमति 15.12.2020 को मिली।

जबकि किसी भी परिस्थिति में नियमतया 50 फीसदी से ज्यादा उत्खनन-उत्पादन नहीं किया जा सकता। वह भी 3 स्टेप में उत्खनन किया जाने का नियम है। यह भारत सरकार के केंद्रीय वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की गाइड लाइन में स्पष्ट उल्लेखित है। बावजूद निर्धारित नियमों की अनदेखी करते हुए इन खदानों से कंपनी 4 साल से 10 लाख मिट्रिक टन चूना पत्थरों का उत्खनन कर रही है।

लीगल नोटिस का जवाब तो दूर विभाग भूल-सुधार तक नहीं किया

अवैध उत्खनन के लिए और पर्यावरण संरक्षण की मंशा से अधिवक्ता सुमित बरोलिये द्वारा संबंधित विषयों पर क़ानूनी नोटिस छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के जिम्मेदार अधिकारीयों को दिया गया था। चौंकाने वाली बात यह है कि तत्संबंध में दी गई लीगल नोटिस की मियाद भी ख़त्म हो गई है। एडव्होकेट सुमित बरोलिया का कहना है कि प्रदेश के चूना पत्थरों की खदान में सभी नियमों को ताक में रखकर एक सीमेंट उद्योगों को बेजा लाभ पहुँचाने वाले विभागीय अधिकारी छत्तीसगढ़ के राजस्व को भी चूना लगा रहे हैं।

क्या कहता है उत्खनन नियम

किसी भी उद्योग या खदानों से पर्यावरण की सुरक्षा के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने दिशा-निर्देश तय कर दिया है। केंद्रीय द्वारा 11 अप्रेल 2022 को जारी किये गए निर्देशों के अनुसार किसी भी उद्योग या खदानों के विस्तारीकरण के प्रोजेक्ट को तभी मंजूरी प्रदान की जाती है,जब उस उद्योग द्वारा अपनी वर्तमान उत्पादन क्षमता के 50 प्रतिशत तक के ही विस्तारीकरण का प्रस्ताव दिया गया हो। जबकि परसवानी हिरमी की लाइम स्टोन (चूना पत्थर)खदान में तक़रीबन तीन गुना ज्यादा उत्खनन किया जा रहा है।

सुलगते सवाल

  • उत्खनन क्षमता 4. 2 लाख से 10 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष करने का क्या नियम है?
  • छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने नियम विरुद्ध विस्तारीकरण पर पत्र-व्यवहार क्यों नहीं किया ?
  • यह वैध उत्खनन है या अवैध उत्खनन इस संबंध में कोई अफसर, विशेषज्ञ और कंपनी के अधिकारी भी क्यों मौन हैं?
  • विभाग को लीगल नोटिस मिली है अगर मिली है तो अब तक कोई जवाब या कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
  • प्रतिवर्ष 10 लाख मिट्रिक टन लाइम स्टोन की अवैध खुदाई से कितने हजार करोड़ की राजस्व क्षति हुई ?

बोलने से कतराते रहे अफसर

तत्संबंध में मामले की तस्दीक के लिए विभाग के रीजनल ऑफिसर्स प्रकाश के. राबड़े को 4 बार संपर्क किया गया पर उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके उलट कंपनी के विशेषज्ञ से जब विस्तारीकरण नियम पर सवाल किया गया तो उन्होंने एक कहकर टाल गए कि मैं उस क्षेत्र को नहीं देखता, लेकिन पूछने के बाद भी उन्होंने संबंधित विषेशज्ञ का नाम, नंबर देने से इंकार कर दिया। इस पुरे मामले के शुरुआती भूमिका में रहे रीजनल ऑफिसर मनीष कश्यप ने भी बार बार कॉल रिस्पॉन्ड नहीं किया।

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