संपादकीय : रोजगारोन्मुखी आम बजट
Budget : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला आम बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया। इस बजट को लेकर आम जनता ने जो उम्मीदें बांध रखी थी उसे काफी हद तक पूरा करने की कोशिश की गई।
वैसे तो इस बजट में गांव, गरीब, किसान, युवा और महिलाओं सभी का पर्याप्त ध्यान रखने का प्रयास किया गया है, लेकिन सरकार ने सबसे ज्यादा ध्यान बेरोजगार युवाओं का रखा है। गौरतलब है कि देश में बेरोजगारी की समस्या दिन ब दिन विकराल रूप धारण करती जा रही है।
पिछले लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था और मोदी सरकार के 10 सालों के कार्यकाल के दौरान बेरोजगारी की समस्या का समाधान न हो पाने का आरोप लगाकर मोदी सरकार को निशाने पर लिया था। बेरोजगारों में सरकार की नितियों के खिलाफ बेरोजगारों का असंतोष 2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों में साफ नजर आया था।
इससे सबक लेते हुए मोदी सरकार ने इस बजट में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए पांच योजनाओं की घोषणा की है। आगामी पांच सालों के भीतर चार करोड़ नए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह पहला अवसर है जब नौकरी के लिए आम बजट (Budget) में 2 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। देश की प्रमुख 500 कंपनियों में 1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप देने की योजना बनाई गई है और इसके लिए भी सरकार इन कंपनियों को वित्तीय मदद देगी।
इंटर्नशिप के दौरान युवाओं को 5 हजार रुपये मासिक दिया जाएगा। ऐसी कंपनियों में युवाओं को पहले वेतन का भुगतान भी सरकार करेगी। जाहिर है इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। इसके अलावा स्वरोजगार को भी बढ़ावा देने का सरकार ने प्रावधान दिया है।
मुद्रा लोन जो अब तक 10 लाख रुपये था उसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है। इसी तरह स्टार्टअप में भी बड़ी राहत दी गई है और एंजल टेक्स को खत्म कर दिया गया है। इस तरह देखें तो वित्त मंत्री आम बजट को रोजगारोन्मुखी बजट (Budget) बनाने की हर संभव कोशिश की है जो कितनी सफल होती है यह नौकरी के लिए बनाई गई इन पांच योजनाओं के कियान्वयन पर निर्भर करेगी।
सात साल की लंबी प्रतिक्षा के बाद सरकार ने आयकर दाताओं की सुध ली है। उनके लिए इंकम टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया है। अब 3 लाख रुपये तक आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
पहले यह सीमा ढाई लाख रुपये थी। अब नए स्लैब के मुताबिक 3 लाख से 7 लाख रुपये तक की आय पर 5 प्रतिशत टैक्स लगेगा और 7 लाख से 10 लाख तक की आय पर 10 प्रतिशत टैक्स लगेगा। इससे मध्यम वर्ग के नौकरी पेशा लोगों को लगभग 15 हजार रुपये तक की बचत होगी।
सरकार ने यह भी घोषणा की है कि आयकर अधिनियम 1961 की छह माह में समीक्षा की जाएगी। हो सकता है समीक्षा के बाद आयकर दाताओं को कुछ और राहत मिल सके। इसी तरह नौकरी पेशा लोगों को कैपिटल गेन में भी छूट दी गई है। इंकम टैक्स में छूट का लाभ पेंशनधारियों को भी मिलेगा।
अब उन्हें 25 हजार रुपये तक मासिक पेंशन पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। इस बजट में बिहार और आन्ध्र प्रदेश के लिए भी हजारों करोड़ की सौगातें दी गई है। गौरतलब है कि इस बार भाजपा को अपने बलबूते पर स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है इसलिए एनडीए की सरकार में बिहार और आंध्रप्रदेश की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू अपने-अपने राज्यों के लिए विशेष पैकेज के लिए दबाव बना रहे थे और उनकी मांग की अनदेखी करना मोदी सरकार के लिए संभव नहीं था इसलिए इस बजट में आध्र प्रदेश के लिए 15 हजार करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा की गई है जिसका स्वागत करते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस बजट की मुक्तकंठ से सराहना की है।
इसी तरह बिहार के लिए भी 50 हजार करोड़ से भी अधिक की योजनाओं को बजट में मंजूरी दी गई है। बिहार की सड़कों के लिए ही 26 हजार करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास के लिए भी बजट में पर्याप्त राशि का प्रावधान है।
कृषि प्रधान इस देश में कृषि की दिशा को बदलने के लिए इस बजट में 109 फसलों पर फोकस किया गया है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए भी कई योजनाएं बनाई गई है।
ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को भी प्राथमिकता दी गई है। देश के 25 हजार गांवों में नई सड़क बनाने का ऐलान किया गया है। इसी तरह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 3 करोड़ नए घर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। गरीबों को राहत देने के लिए और पांच साल तक मुफ्त राशन योजना लागू करने की भी घोषणा की गई है।
महंगाई से राहत देने के लिए सरकार ने कई वस्तुओं से सीमा शुल्क में 15 प्रतिशत तक की कटौती की है। सीमा शुल्क कम होने से अब मोबाईल, चार्जर, एक्स-रे मशीन, कैंसर दवाईयां, सोना, चांदी, सोलर पैनल और इलेक्ट्रॉनिक गाडिय़ां सस्ती हो जाएंगी।
इस बजट (Budget) पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई है। विपक्ष ने इस बजट को निराशाजनक बताया है, वहीं सत्ता पक्ष इस बजट को क्रांतिकारी बता रहा है। जहां तक अर्थशास्त्रियों का प्रश्न है तो वे इस बजट को एक संतुलित बजट करार दे रहे हैं जो देश के विकास की रफ्तार को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।