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Electoral Bonds: सीलबंद लिफाफों से खुलासा, इन दो प्रमुख पार्टियों को एक भी चुनावी बांड नहीं मिला…

Electoral Bonds: Sealed envelopes revealed that these two major parties did not receive a single electoral bond…

Electoral bond

-विभिन्न राजनीतिक दलों ने सौंपे सीलबंद लिफाफों का खुलासा

नई दिल्ली। Electoral Bonds: चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख अपनाने के साथ ही राजनीतिक दलों ने अलग-अलग कारण बताकर इससे बचना शुरू कर दिया है। इसमें पहले नंबर पर नीतीश कुमार की पार्टी है। यह बात सार्वजनिक होने के बाद कि इस पार्टी को चुनावी बांड से 24 करोड़ रुपये मिले। आयोग ने हास्यास्पद कारण बताया है कि 10 करोड़ रुपये कहां से आये। दूसरे नंबर पर समाजवादी पार्टी हैं। हालाँकि दो महत्वपूर्ण पार्टियाँ हैं जिन्हें कोई चुनावी बांड नहीं मिला है।

चुनाव आयोग ने रविवार को विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा सौंपे गए सीलबंद लिफाफों का खुलासा किया गया। इसमें कहा गया है कि जेडीयू को बांड के जरिये 24 करोड़ रुपये मिले। इसमें जेडीयू ने कहा है कि उसे भारती एयरटेल और श्री सीमेंट से क्रमश: 1 करोड़ और 2 करोड़ रुपये का चुनावी बॉन्ड मिला है।

जद (यू) ने कहा 3 अप्रैल 2019 को कोई व्यक्ति कार्यालय में आया और एक लिफाफा दिया। जब उसने इसे खोला, तो इसमें 10 करोड़ के बांड (Electoral Bonds) थे। यह दान किसने दिया यह पता नहीं चल पाया है। जेडीयू ने कहा है कि पार्टी को इसकी जानकारी नहीं है और चूंकि सुप्रीम कोर्ट का ऐसा कोई आदेश नहीं था, इसलिए हमने इस बारे में पूछताछ नहीं की।

एक और हास्यास्पद वजह अखिलेश यादव की पार्टी सपा ने बताई है। सपा ने कहा है कि हमें डाक से 10 करोड़ रुपये के चुनावी बांड मिले हैं। मायावती की बसपा और सीपीआईएम दो ऐसी पार्टियां हैं जिन्हें चुनावी बांड का एक भी रुपया नहीं मिला है। इन दोनों ही पार्टियों को अभी तक कोई बांड नहीं मिला है।

जब चुनावी बांड (Electoral Bonds) का मुद्दा बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बनता दिख रहा है तो आरएसएस बचाव में उतर आया है। वहीं भाजपा नेता दत्तात्रेय ने कहा कि चुनावी बांड ईवीएम जैसा ही एक प्रयोग है। चुनावी बांड आज अचानक नहीं लाये गये हैं। इसे पहले लाया गया था। जब भी कोई बदलाव किया जाता है तो सवाल उठाए जाते हैं। ईवीएम आने के बाद भी सवाल उठे थे।

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