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Election Inducement : प्रलोभन परोसने की होड़…

Election Induction: Competition to serve the temptation...

Election Induction

Election Inducement : उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। वहां राजनीतिक पार्टियों में मतदाताओं को प्रलोभन परोसने की होड़ लग गई है। अभी तक चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई है। इसके बावजूद सभी राजनीतिक दल वोट कबाडऩे की जुगत में लग है। मतदाताओं का मन मोहने के लिए सभी एक से बढ़कर एक लोक लुभावन घोषणाएं कर रहे हैं।

लगभग सभी पार्टियों ने किसानों का कर्जा माफ करने और किसानों को मुफ्त बिजली देने की घोषणा कर दी है। अब तो घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को भी 100 यूनिट से 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की घोषणा की जा रही हैं। गौरतलब है कि मुफ्त बिजली और पानी का फार्मूला अपना कर आम आदमी पार्टी ने नई दिल्ली में प्रचंड बहुमत से अपनी सरकार बनाई थी।

इसी के बाद से सभी पार्टियां अरविंद केजरीवाल का अनुशरण (Election Inducement) करने लगी है। नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब, गोवा और उत्तर प्रदेश में भी दिल्ली का फार्मूला लागू करते हुए 300 यूनिट बिजली फ्री देने की तथा बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने की घोषणा की है। इसी का असर यह हुआ है कि अब उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी ने सभी किसानों को मुफ्त बिजली देने और घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक नि:शुल्क बिजली देने का एलान किया है।

इस बीच अरविंद केजरीवाल ने पंजाब और गोवा की हर महिला को प्रतिमाह एक हजार रुपए देने की भी घोषणा कर दी है। देखना दिलचस्प होगा कि नोट देकर वोट कबाडऩे की उनकी इस कवायद का कौन-कौन सी पार्टी अनुशरण करती है। दरअसल अब राजनीतिक पार्टियों ने सत्ता हासिल करने के लिए इस तरह के प्रलोभन परोसना इसलिए शुरू कर दिया है क्योंकि उनके पास विकास का कोई विजन नहीं होता है। मतदाताओं को इस तरह के प्रलोभन (Election Inducement) परोसना अनैतिक है।

समझ में नहीं आता कि चुनाव आयोग इस तरह की घोषणाओं पर रोक क्यों नहीं लगा पा रहा है। यह तो सीधे-सीधे वोट की खरीद फरोख्त है। मुफ्त खोरी को बढ़ावा देकर राजनीतिक पार्टियां एक निहायत गलत परंपरा को आगे बढ़ा रही है। चुनाव आयोग को चाहिए कि वह इस तरह की घोषणाओं पर ततकाल रोक लगाए।

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