Education Technology in Schools : जीपीएस से होगी किताबों की मॉनिटरिंग, चोरी और अवैध बिक्री पर लगेगी लगाम
Education Technology in Schools
सरकारी स्कूलों में वितरित होने वाली पुस्तकों की चोरी और अवैध बिक्री रोकने के लिए अब छत्तीसगढ़ सरकार (Education Technology in Schools) ने नई तकनीक का सहारा लिया है। आगामी शिक्षा सत्र 2026-27 में छात्रों को क्यूआर कोड (QR Code) वाली किताबें दी जाएंगी। यह निर्णय छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम (Textbook Corporation) की 92वीं कार्यकारिणी बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता निगम के अध्यक्ष राजा पांडेय ने की।
बैठक में तय किया गया कि अब प्रत्येक पाठ्यपुस्तक पर एक विशिष्ट क्यूआर कोड अंकित होगा, जिसे स्कैन करते ही यह जानकारी सामने आ जाएगी कि वह पुस्तक किस संभाग या संकुल के लिए भेजी गई है, उसका सीरियल नंबर क्या है और यह किस विद्यालय से संबंधित है। इस कदम से पुस्तकों की (Digital Tracking System) ट्रैकिंग आसान होगी और हेराफेरी या अवैध बिक्री की संभावना लगभग समाप्त हो जाएगी।
गुजरात और बिहार मॉडल का अध्ययन करने के बाद निर्णय
निगम की टीम ने इस व्यवस्था को लागू करने से पहले (Bihar and Gujarat Education Models) गुजरात और बिहार मॉडल का अध्ययन किया। अध्ययन में पाया गया कि बिहार में सरकार किताबें खरीदकर स्कूलों को उपलब्ध कराती है, लेकिन कई जगहों पर फर्जी रिसीविंग के मामले सामने आए। वहीं गुजरात में सरकार स्वयं कागज खरीदकर पुस्तकों की छपाई कराती है, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है। छत्तीसगढ़ में भी पहले से यही मॉडल लागू था, लेकिन अब इसमें तकनीकी सुधार करते हुए क्यूआर कोड और जीपीएस आधारित ट्रैकिंग सिस्टम जोड़ा जाएगा।
पुस्तकों के परिवहन पर भी रखी जाएगी नजर
निगम ने निर्णय लिया है कि पुस्तकों के परिवहन के दौरान उपयोग में आने वाले वाहनों में जीपीएस सिस्टम (GPS Monitoring) लगाया जाएगा। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि किताबें किस स्थान से रवाना हुईं और कब गंतव्य तक पहुंचीं। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी डिजिटल रूप से की जाएगी। निगम ने यू-डाइस (U-DISE) के आंकड़ों के आधार पर लगभग 45 लाख सेट पुस्तकों की छपाई की योजना बनाई है।
Education Technology in Schools क्यूआर कोड से मिलेगी पूरी जानकारी
पहले पुस्तकों में लगे क्यूआर कोड से केवल सीमित डिजिटल जानकारी मिलती थी। अब नई व्यवस्था में स्कैन करते ही पुस्तक का पूरा विवरण संभाग, संकुल, विद्यालय, वितरण केंद्र और प्रकाशन तिथि तक उपलब्ध होगा। इसके अलावा, प्रत्येक पुस्तक पर स्पष्ट रूप से लिखा होगा कि यह सरकारी संपत्ति है, बिक्री या खरीद वर्जित है। इस नियम का उल्लंघन करने पर खरीदार और विक्रेता दोनों पर कार्रवाई की जाएगी।
निशुल्क पुस्तकों की पारदर्शी आपूर्ति का लक्ष्य
राज्य सरकार (Education Technology in Schools) शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा 1 से 10 तक के विद्यार्थियों को निशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराती है। प्रदेश के करीब 55 हजार सरकारी और निजी स्कूलों के लगभग 56 लाख विद्यार्थियों को हर वर्ष यह सुविधा दी जाती है। पिछले सत्र में लाखों पुस्तकों की अवैध बिक्री का मामला सामने आने के बाद यह सुधार प्रक्रिया शुरू की गई। जांच में कई अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी, जिन्हें निलंबित कर दिया गया। अब नई तकनीकी व्यवस्था से ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति की संभावना समाप्त हो जाएगी।
