Education Rationalization Scam : ब्लॉक में अतिशेष, संभाग में ‘अतिविशेष’ – शिक्षा विभाग की पारदर्शिता पर उठे सवाल
Education Rationalization Scam
Education Rationalization Scam : शिक्षा विभाग (Education Rationalization Scam) में पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। ब्लॉक और जिला स्तर पर जिन शिक्षकों को “अतिशेष” घोषित किया गया था, वही नाम संभागीय स्तर पर पहुंचते ही “अतिविशेष” बन गए। इस उलटफेर ने युक्तियुक्तकरण की पूरी प्रक्रिया पर संदेह खड़ा कर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि कुछ संकुल समन्वयक शिक्षक, अटैचमेंट और अतिशेष से लेकर पदस्थापना तक के काम में कथित तौर पर “रेट” तय करते हैं। ब्लॉक स्तर पर भेजी गई सूची जिला कार्यालय तक पहुंचते-पहुंचते बदल जाती है और रायपुर संभाग में आते-आते कुछ नाम रहस्यमय तरीके से गायब हो जाते हैं।
संभागीय सुनवाई में हुआ ‘चमत्कार’
मामला गरियाबंद जिले के छुरा ब्लॉक का है। यहां पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरकंडा में पदस्थ शिक्षिका एलबी श्रीमती हेमलता निर्मलकर का नाम ब्लॉक और जिला — दोनों स्तरों पर अतिशेष सूची में शामिल था। जिला समिति ने यह सूची संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग रायपुर को भेजी। लेकिन जब रायपुर संभागीय स्तर पर सुनवाई सूची जारी हुई, तो हेमलता निर्मलकर का नाम सूची से रहस्यमय तरीके से गायब था।
संभाग आयुक्त की अध्यक्षता में 22 और 23 अगस्त 2025 को रायपुर में हुई युक्तियुक्तकरण (Education Rationalization Scam) समिति की सुनवाई के लिए 11 पन्नों की सूची जारी की गई थी, जिसमें कुछ शिक्षकों के नाम हटाए जाने से पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया।
हाईकोर्ट का आदेश और विभाग की अनदेखी
हेमलता निर्मलकर को अतिशेष घोषित किए जाने के बाद मैनपुर ब्लॉक के कुल्हाड़ीघाट स्कूल में पदस्थ किया गया था। उन्होंने वहां ज्वाइन भी कर लिया था। बाद में गरियाबंद जिले के कई शिक्षकों ने संभागीय समिति के निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की।
हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता समिति के समक्ष उपस्थित होकर आवेदन दे सकते हैं और निर्णय तक यथास्थिति बनाए रखी जाए। इसके बाद संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग ने 4 जुलाई 2025 को पत्र क्रमांक 2448 (Education Rationalization Scam) के माध्यम से जिला शिक्षा अधिकारी गरियाबंद को निर्देश दिया कि “हेमलता निर्मलकर को आगामी सुनवाई तक मिडिल स्कूल सरकंडा में उपस्थित कराना सुनिश्चित करें।”
लेकिन सवाल यह है कि जब हाईकोर्ट की स्पष्ट मॉनिटरिंग थी, तो फिर संभागीय समिति की सुनवाई सूची से उनका नाम आखिर क्यों हटाया गया?
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी बोले “नाम हटना आश्चर्यजनक”
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी किशुन मतावले ने स्वीकार किया कि “ब्लॉक और जिला स्तर पर हेमलता निर्मलकर का नाम अतिशेष सूची में था। संभागीय सुनवाई (Education Rationalization Scam) से नाम गायब होना आश्चर्यजनक है, हमें भी यह समझ नहीं आ रहा कि यह कैसे हुआ।”
वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी जगजीत सिंह से इस मामले में पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया। उनके मोबाइल और व्हाट्सएप पर संदेश भेजे गए, लेकिन 36 घंटे बीत जाने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला।
युक्तियुक्तकरण में बढ़ती ‘सेटिंग कल्चर’ की चर्चा
शिक्षा विभाग के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, युक्तियुक्तकरण अब निष्पक्ष प्रक्रिया नहीं रह गई है। दलालों और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से नामों की अदला-बदली आम बात हो गई है। शिक्षकों का कहना है कि इस ‘सेटिंग कल्चर’ से वास्तविक रूप से शिक्षकों की कमी झेल रहे स्कूल प्रभावित हो रहे हैं।
संभाग आयुक्त की अध्यक्षता में की जाने वाली सुनवाई की पारदर्शिता पर अब गंभीर प्रश्नचिह्न हैं। शिक्षा व्यवस्था में इस तरह की हेराफेरी (Education Rationalization Scam) से सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ रहा है।
