BJP in Uttar Pradesh: इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा 240 सीटों पर सिमट कर रह गई। अकेले अपने बल बूते पर 272 के आंकड़े को छुने में वह सिर्फ 32 सीटों से चूक गई। यदि वह उत्तप्रदेश में पिछले लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहरा लेती तो वह स्पष्ट बहुमत प्राप्त करने में सफल हो जाती। किन्तु देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश से ही भाजपा को बड़ा झटका लग गया। इस बार भाजपा सिर्फ 33 सीटें ही जीत पाई जबकि समाजवादी पार्टी ने उसे पीछे छोड़ते हुए 36 सीटों पर सफलता पाई।
कांग्रेस पार्टी ने भी 6 सीटें जीत ली। भाजपा की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल को 2 सीटों पर और अपना दल को मात्र 1 सीट पर सफलता मिल पाई। भाजपा के 7 केन्द्रीय मंत्री इस चुनाव में हार गए। वहीं 2019 में जिन 15 सीटों पर भाजपा हारी थी उनमें से 14 सीटों पर इस बार भी भाजपा को हार का सामना करना पड गया। इन सीटों पर भाजपा को ज्यादा मेहनत करने की जरूरत थी लेकिन लगता है कि भाजपा ने यहां उतनी मेहनत नहीं की। भाजपा को अपने पुराने सांसदों को रिपीट करना भारी पड़ गया।
उनके खिलाफ मतदाताओं में नाराजगी थी खासतौर पर 7 केन्द्रीय मंत्रियों के सांसदीय क्षेत्रों में भी मतदाता उनसे खफा थे। इसके बावजूद उन्हें भाजपा ने टिकट देने का जोखिम उठाया। नतीजतन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन (BJP in Uttar Pradesh) करने वाले आम प्रकाश राजभर भी भाजपा के लिए परेशानी का सबब बने और पूर्वांचल में वे समाजवादी पार्टी का मुकाबला नहीं कर पाये। इसके बावजूद उत्तरप्रदेश में भाजपा ने 41 प्रतिशत से ज्यादा वोट प्राप्त किए जबकि समाजवादी पार्टी को 33 प्रतिशत तथा कांग्रेस को 9 प्रतिशत वोट मिले।
उत्तरप्रदेश में भाजपा की इस हार के कारणों की समीक्षा के बाद ही यह पता चलेगा कि यूपी में भाजपा को 29 सीटों का नुकसान क्यों हुआ। इस बारे में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर एक किताब लिखने वाली सुप्रीम कोर्ट की वकील रीना सिंह ने खुलासा किया है कि योगी आदित्यनाथ की उत्तरप्रदेश में टिकट वितरण के मामले में उपेक्षा की गई।
यदि योगी को नजरअंदाज नहीं किया जाता और उनकी पसंद के प्रत्याशियों को तरजीह दी जाती तो भाजपा और ज्यादा सीटें जीतने में सफल होती। रीना सिंह के मुताबिक चुनाव के दौरान नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (BJP in Uttar Pradesh) ने एक शिगूफा छोड़ा था कि 2024 में यदि भाजपा की सरकार बन जाएगी तो नरेन्द्र मोदी नहीं बल्कि अमित शाह प्रधानमंत्री बनेंगे और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया जाएगा।
एक बड़े षडयंत्र के तहत अरविंद केजरीवाल ने यह बयान दिया था। अमित शाह सहित भाजपा (BJP in Uttar Pradesh) के अन्य नेताओं ने अरविंद केजरीवाल के इस बयान का तो पूरजोर ढंग से खंडन कर दिया था कि अमित शाह प्रधानमंत्री बनने वाले हैं। किन्तु किसी भाजपा नेता ने इस बात का खंडन करना जरूरी नहीं समझा कि योगी आदित्यनाथ उत्तरप्रदेश के सीएम पद से हटाए जाने वाले हैं।
इससे उत्तरप्रदेश में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई और भाजपा को इसका नुकसान उठाना पड़ा। यहां तक कि बनारस से भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जीत का अंतर कम हो गया। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तरप्रदेश में भाजपा को मिली कम सीटों के कारणों की पड़ताल कर रहे हैं। इसकी समीक्षा के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि उत्तरप्रदेश में भाजपा को यह झटका क्यों लगा है।