Durg University Website Hack : दुर्ग यूनिवर्सिटी की वेबसाइट हैक, पीएम मोदी पर गालियां और पाकिस्तान समर्थक पोस्टर वायरल

Durg University Website Hack : दुर्ग यूनिवर्सिटी की वेबसाइट हैक, पीएम मोदी पर गालियां और पाकिस्तान समर्थक पोस्टर वायरल

Durg University Website Hack

Durg University Website Hack

Durg University Website Hack : छत्तीसगढ़ के दुर्ग स्थित हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की वेबसाइट सोमवार को हैक हो गई। इस (Durg University Website Hack) हैकिंग में पाकिस्तानी हैकर्स ने वेबसाइट पर पीएम मोदी को गालियां लिखे पोस्टर अपलोड कर दिए। जब छात्र वेबसाइट खोलते हैं, तो स्क्रीन पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे दिखाई दिए।

हैकर्स ने पोस्ट डालकर भारत का मजाक उड़ाया, और यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। विश्वविद्यालय प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए। छात्र बताते हैं कि न तो प्रबंधन को और न ही वेबसाइट संभालने वाली निजी एजेंसी को इस घटना की पहले से भनक लगी। केवल वेबसाइट खोलने पर यह खुलासा हुआ।

यह इस वेबसाइट की तीसरी बार हैकिंग है। पहली बार 7 जुलाई 2025 को और दूसरी बार 7 सितंबर 2025 को वेबसाइट हैक हो चुकी थी। इस बार भी छात्रों का पढ़ाई और परीक्षा संबंधी काम ठप हो गया। वेबसाइट(Durg University Website Hack) पर परीक्षा रिजल्ट और एडमिशन जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं निर्भर हैं, जिससे छात्रों को लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार शाम तक वेबसाइट हैकर्स के कब्जे में रही, और बाद में इसे सुधार कर सामान्य स्थिति में लाया गया।

विश्वविद्यालय की वेबसाइट पहले भी हैक हुई थी, लेकिन प्रशासन ने इसे अब तक सही तरीके से सुरक्षित नहीं कराया। पहली हैकिंग के बाद यह कहा गया था कि वेबसाइट का एनआईसी ऑडिट कराया जाएगा, लेकिन प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी। तीसरी बार हैकिंग के बावजूद सुरक्षा इंतजाम जस के तस हैं।

वेबसाइट को एक निजी एजेंसी द्वारा संभाला जाता है, लेकिन बार-बार की (Durg University Website Hack) हैकिंग के बावजूद यह एजेंसी नाकाम साबित हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि बार-बार हैकिंग होने पर सर्वर सिक्योरिटी और बैकअप सिस्टम को तत्काल बदलना चाहिए। वर्तमान में एजेंसी की लापरवाही सबसे बड़ा सवाल बनी हुई है।

विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि इस बार वेबसाइट को सुरक्षित करने की ठोस तैयारी की जा रही है। हालांकि छात्र मानते हैं कि जब तक जिम्मेदारी किसी सक्षम सरकारी एजेंसी को नहीं सौंपी जाती, तब तक इस प्रकार की घटनाएं बार-बार दोहराई जाती रहेंगी। यह घटना न केवल शैक्षणिक कामकाज प्रभावित करती है, बल्कि देश की सुरक्षा और साइबर सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।

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