संपादकीय : राजधानी नई दिल्ली में गहराता पेयजल संकट

संपादकीय : राजधानी नई दिल्ली में गहराता पेयजल संकट

Drinking water crisis deepening in the capital New Delhi

Drinking water crisis


Drinking water crisis deepening in the capital New Delhi : देश की राजधानी नई दिल्ली में पेयजल संकट की समस्या का समाधान नहीं हो पा रही है। जल संकट को लेकर सिर्फ सियासत हो रही है। राजनीतिक पार्टियां इस समस्या के लिए एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। जल संकट से दिल्ली के बाशिंदों को मुक्ति दिलाने की दिशा में अभी तक कोई कारगर कदम नहींं उठाया गया है।

यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो नई दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने वहां हलफनामा दायर करके हरियाणा पर यह आरोप लगा दिया कि नई दिल्ली के जल संकट के लिए हरियाणा का टैंकर माफिया जिम्मेदार है। वहीं भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी के विधायक और कई नेता अवैध रूप से टैंकर चलाने का कारोबार कर रहे हैं। और टैंकर माफिया को लाभ पहुंचाने के लिए ही आम आदमी पार्टी की सरकार जल संकट (Drinking water crisis) के समाधान के लिए ठोस पहल नहीं कर रही है।

गौरतलब है कि नई दिल्ली के समस्या मूलक क्षेत्रों में टैंकरों के माध्यम से ही लाखों लोगों को पेयजल की आपूर्ति पिछले एक पखवाड़े से की जा रही है। किन्तु उन स्थानों पर जो टैंकर पहुंच रहे हैं। उससे लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रही है। स्थिति इस हद तक भयावह हो चुकी है कि लोगों को अपना सारा काम काज छोड़कर कई घंटों तक पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।

नई दिल्ली की केजरीवाल सरकार जल संकट को हल करने में बुरी तरह विफल हुई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं और अभी भी वे अपने पद से इस्तीफा न देकर जेल से ही सरकार चलाने की जिद पर अड़े हुए हैं। उनकी इस जिद का खामियाजा नई दिल्ली के लाखों लोगों को भुगतना पड़ रहा है जो इस भीषण गर्मी में बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। केजरीवाल सरकार के मंत्री सिवाय प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी नकामी का ठीकरा दूसरों के सिर पर फोडऩे के अलावा और कोई काम नहीं कर रहे हैं।

नई दिल्ली सरकार के एक मंत्री सौरभ भारद्वाज ने तो इस बारे में बड़ा ही हास्यास्पद बयान दिया है कि आने वाली बरसात में नई दिल्ली को बाढ़ से बचाने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। इसके लिए यमुना के बंद गेट खोलने की तैयारी हो रही है। जब केजरीवाल सरकार अपने काम की प्राथमिकता ही तय नहीं कर पा रही है। उससे जल संकट (Drinking water crisis) से निपटने के लिए प्रभावी पहल की उम्मीद बेमानी है। अब केन्द्र सरकार को ही हस्तक्षेप कर दिल्ली के जल संकट को हल करने उचित पहल करनी चाहिए।

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