संपादकीय: एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप ने बदले सुर

Donald Trump changes his tune once again
Editorial: अपनी कही बात से पल्टी मारने का विश्व रिकॉर्ड बना चुके अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपना सुर बदल लिया है। उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा है कि मैं आने वाले कुछ हफ्तों में अपने बहुत अच्छे दोस्त भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बातचीत करने के लिए बेहद उत्सुक हूं। मुझे यकीन है कि दोनों महान देशों के लिए हम एक सफल निष्कर्ष पर पहुंचेंगे। इसमें कही कोई कठिनाई नहीं होगी। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और अमेरिका के संबंधों को विशेष बताते हुए एक बार फिर यह बात दोहराई है कि नरेन्द्र मोदी हमेशा उनके दोस्त रहेंगे चिंता की कोई बात नहीं है।
डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है लेकिन नरेन्द्र मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप का नाम नहीं लिया बल्कि यह कहा है कि भारत और अमेरिका घनिष्ठ मित्र हैं और स्वाभााविक साझेदार हैं। पीएम मोदी ने उम्मीद जताई हैं कि अमेरिका के साथ व्यापार संबंधी बातचीत का जल्द निर्णय होगा, उन्होंने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार की असीम संभावनाएं हैं और हमारी टीम दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते के लिए चर्चा कर रही हैं।
इस बीच भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बयान दिया है कि भारत के अमेरिका के बीच ट्रेड डील का पहला चरण नवंबर माह तक फाइनल हो सकता है। दोनों देशों के बीच चर्चा सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है और दोनों पक्ष अब तक की प्रगति से संतुष्ट हैं। गौरतलब है कि पहले जब डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को मृत अर्थव्यवस्था बताया था और बाद में भारत पर रूस से तेल लेने के लिए 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, तो दोनों देशों के बीच ट्रेड डील पर बाधा आ गई थी। भारत ने अमेरिका के साथ बातचीत में रूचि दिखाना कम कर दिया था।
नतीजतन खुद अमेरिका में ही डोनाल्ड ट्रंप की कड़ी आलोचना शुरू हो गई थी। विपक्षी पार्टी ने ही नहीं वहां की सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने भी डोनाल्ड ट्रंप को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया था। जिनका कहना था कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध बनने में दशकों लगे हैं जिसपर डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ अटैक कर एक ही झटके में पानी फेर दिया था। अपने ही देश में जब डोनाल्ड ट्रंप घिरने लगे।
तब उन्होंने अपना सुर बदला है। बहरहाल भारत भी अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने का इच्छुक है लेकिन भारत यह समझौता अपनी शर्तों पर करेगा न की अमेरिका के दबाव के सामने झुकेगा। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को झुकाने के लिए हर हथकंडा आजमा कर देख लिया लेकिन जब भारत नहीं झुका तो अब डोनाल्ड ट्रंप को भारत के सामने सरेंडर करने पर बाध्य होना पड़ा है इसके बावजूद डोनाल्ड ट्रंप की बात पर आंख मुद कर भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि वे अपना भरोसा खो चुके हैं।