संपादकीय: अपने ही जाल में फंसे डोनाल्ड ट्रंप

Trump caught in his own trap
Donald Trump caught in his own trap: जिस तरह मकड़ी अपने ही बुने हुए जाल में फंस जाती है ठीक वही स्थिति आज अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हो गई है। अपने दूसरे कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप अपने बड़बोलेपन के कारण तेजी से अपने लोकप्रियता खाते जा रहे हैं। न सिर्फ उनकी विश्वसनीयता खत्म हो रही है बल्कि अमेरिका का प्रभाव भी कम होने लगा है। डोनाल्ड ट्रंप की अजीबों गरीब कार्यप्रणाली से अमेरिका के लोग भी त्रस्त हो गये हैं। उनके अपने लोग भी उनका साथ छोडऩे के लिए विवश हो रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण ऐलन मस्क का अपने पद से इस्तीफा देना है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद के चुनाव के पूर्व एलन मस्क डोनाल्ड ट्रंप के विश्वस्त सहयोगी के रूप में उनसे जुड़े थे और उनके चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली थी।
इस तरह डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति पद का चुनाव जिताने में एलन मस्क ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। यही वजह है कि राष्ट्रपति पद का शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने एलन मस्क को अपना विशेष सलाहकार बनाया था। किन्तु छह माह के भीतर ही एलन मस्क ने अपने पद से इस्तीफा देकर खुद को डोनाल्ड ट्रंप की सरकार से अलग कर लिया है। जाहिर है इससे अब डोनाल्ड ट्रंप का प्रचार तंत्र कमजोर होगा।
इस बीच अमेरिका की एक अदालत ने वहां के व्यापारियों की याचिका पर सुनवाई के बाद डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्लान को अवैधानिक करार देकर उन्हें करारा झटका दिया है। कोर्ट ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रंप अपने अधिकारों का दुरपयोग कर किसी पर भी टैरिफ नहीं बढ़ा सकते। कोर्ट के इस फैसले से डोनाल्ड ट्रंप को तगड़ा झटका लगा है। वैसे यहां भी डोनाल्ड ट्रंप ने झूठ का सहारा लिया था और कोर्ट में यह दलील दी थी हिक भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने के लिए उन्हें टैरिफ बढ़ाना पड़ा था।
उनके इस तर्क को कोर्ट ने अमान्य कर दिया है वैसे कोर्ट के इस निणर्य के खिलाफ डोनाल्ड ट्रंप ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे लेकिन वहां से भी उन्हें राहत मिलने की संभावना कम है। गौरतलब है कि डोनाल्ड टं्रप ने अमेरिका की वित्तीय स्थिति को सुधारने के नाम पर दुनिया के कई देशों पर टैरिफ बढ़ा दिया था। जिसे लेकर उनके खिलाफ कई देशों ने मोर्चा खोल दिया था। इस बीच डोनाल्ड ट्रंप ने रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष विराम कराने की सेखी बघार दी थी लेकिन रूस इसके लिए तैयार नहीं हुआ इससे नाराज होकर डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन को पागल कह दिया और यह भी कहा कि वे आग से खेल रहे हैं। इस पर पलटवार करते हुए रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने तीसरे विश्व युद्ध की धमकी दे डाली। यही नहीं बल्कि रूस ने यूक्रेन पर अपने हमले और तेज कर दिये।
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का श्रेय लुटने की भी कोशिश की लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि भारत ने पाकिस्तान के अनुरोध पर ही अस्थाई संघर्ष विराम पर अपनी सहमति दी है इसमें अमेरिका का कोई दखल नहीं है। इससे डोनाल्ड ट्रंप की दुनिया में खिल्ली उड़ी इसके बावजूद डोनाल्ड ट्रंप भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम को लेकर विवादास्पद बयानबाजी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। भारत और अमेरिका के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं। इसे लेकर भी अमेरिका के विषेशज्ञों ने डोनाल्ड ट्रंप की कड़ी अलोचना की है उनका कहना है कि भारत अमेरिका का मित्र राष्ट्र रहा है और उसने तीन दिनों के भीतर ही पाकिस्तान को घुटनों पर लाकर अपनी सैन्य क्षमता का पूरी दुनिया को परिचय दे दिया है इसके बाद भी डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान के साथ खड़े दिख रहे हैं जो अमेरिका और भारत के संबंधों में दरार डाल सकता है। जो अमेरिका के हित में नहीं है।
कुल मिलाकर डोनाल्ड टं्रप अपनी सनक के चलते अपने मित्रों को और मित्र राष्ट्रों को अपने से दूर करते जा रहे हैं। वे यह भी भूल गये हैं कि पहली और दूसरी बार उन्हें राष्ट्रपति पद का चुनाव जिताने में अमेरिका में बसे भारतीय मूल के लाखों लोगों ने वोट दिया था और भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अमेरिका प्रवास के दौरान एक तरह से उनका चुनाव प्रचार किया था। उस समय डोनाल्ड ट्रंप ने नरेन्द्र मोदी को अपना सच्चा दोस्त बताया था और भारत के साथ अमेरिका के व्यापार को दो गुनाह करने की बात कही थी। लेकिन उन्होंने अब टैरिफ बढ़ाकर भारत को भी नहीं बख्शा है और अब तो वे पाकिस्तान को वित्तीय मदद मुहैया करा कर भारत के साथ अपने संबंध और खराब करने पर तुले हुए हैं।
इससे भारत को तो थोड़ा बहुत नुकसान होगा लेकिन अमेरिका को ज्यादा क्षति पहुंचेगी क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। ऐसे में भारत के साथ मतभेद बढ़ाना अमेरिका को महंगा पड़ सकता है। रही बात भारत की तो वह आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। और तीसरे सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है ऐसे में भारत अमेरिका की चौधराहट कतई कबूल नहीं करेगा वैसे भी अमेरिका की बात तो कनाड़ा और यूक्रेन जैसे छोटे छोटे देश भी नहीं सुन रहे हैं। इसके बावजूूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद को दुनिया का चौधरी समझने का मुगालता पाले हुए हैं जो अमेरिका के लिए भविष्य में घातक सिद्ध हो सकता है।