संपादकीय: कांग्रेस पार्टी के नये फरमान से असंतोष
Dissatisfaction with the new decree of Congress Party: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकायों के चुनाव की तिथि अभी घोषित नहीं हुई है लेकिन महापौर और अध्यक्षों का आरक्षण होन तथा नगरी निकायों के वार्डो के आरक्षित होने के बाद से चुवानी सरगर्मियां तेज हो गई है कांग्रेस और भाजपा में पार्षद पद की टिकट को लेकर एक अनार और सौ बीमार वाली स्थिति निर्मित हो गई है। इस बीच छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने एक नया फरमान जारी किया है।
जिसे लेकर पार्षद पद के उम्मीदवारों में असंतोष देखा जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने मनमोहन सिंह कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार पार्षद पद के दावेदारों से पांच माह का मानदेय जमा करने का निर्देश दिया है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सभी जिला कांग्रेस कमेटियों को परिपत्र जारी कर कहा है कि पार्षद पद के टिकट के लिए आवेदन के साथ ही उनसे पांच माह के मानदेय की राशि भी जाम कराई जाये।
वर्तमान में नगर निगम के पार्षदों को प्रतिमाह पंद्रह हजार रूपये का मानदेय मिलता है इसका मतलब यह है कि कांग्रेस से पार्षद पद का टिकट चाहने वालों को एकमुश्त 75 हजार रूपये की राशि जमा करानी होगी जो यह राशि जमा नहीं कराएगा उसका आवेदन न मंजूर हो जाएगा।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने नगरीय निकाय चुनाव के लिए फंड जुटाने की दृष्टि से मनमोहन सिंह कमेटी से रिपोर्ट को मद्देनजर रखकर यह निर्देश दिया है जिससे टिकट के उन दावेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा जो साधन संपन्न हैं। किन्तु साधारण कार्यकर्ताओं के लिए टिकट के आवेदन के साथ एकमुश्त इतनी बड़ी राशि जमा करा पाना मुश्किल होगा।
उपर से पार्षद पद चुनाव में भी प्रत्याशियों को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। प्रदेश कमेटी के इस फरमान को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो रही हैै। कई कांग्रेस जन जहां इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं। वहीं पार्टी के ऐसे भी कार्यकर्ता हैं जो इस निर्णय से नाखुश है और इस फरमान को अव्यवाहारिक बताते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी से अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग कर रहे हैं।
उनका कहना है कि क्या प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव लडऩे के इच्छुक कांग्रेस नेताओं से भी इसी तरह का अंशदान लिया था जो लाखों का मानदेय प्राप्त करते हैं। बहरहाल कांग्रेस कमेटी का यह फरमान साधारण कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा है।