Discord in Congress : देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी जिसने सबसे ज्यादा समय तक देश में एकक्षत्र राज किया है। इन दिनों संक्रमण काल से गुजर रही है। कांग्रेस में कलह बढ़ती ही जा रही है। जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। वहां कांग्रेस को खुद कांग्रेस से ही लडऩा पड़ रहा है। जिन राज्यों में कांग्रेस साझा सरकार का हिस्सा है वहां भी कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है। स्थिति तो यह है कि जहां कांग्रेस विपक्षी पार्टी की हैसियत भी नहीं रखती वहां भी कांग्रेस में आपसी खिचतान मचा है।
पंजाब में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और वहां के मुख्यमंत्री कैप्टन अरमिंदर सिंह तथा नव नियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तलवारें खिंची हुई है। नवजोत सिंह सिद्धू लगातार विवादास्पद टिका टिप्पणी करते जा रहे हैं। अब तो उन्होंने खुलेआम कांग्रेस हाईकमान को ही चेतावानी दे डाली है कि यदि उन्हें फैसले लेने का अधिकार नहीं दिया गया तो वे ईंट से ईंट बजा देंगे। निश्चित रूप से पंजाब में कांग्रेस में मची अंर्तकलह (Discord in Congress) का खामियाजा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भूगतने पड़ सकता है।
कांग्रेस हाईकमान पंजाब की गुत्थि सुलझाने में नाकाम रहा है। यही हाल राजस्थान का है। जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मतभेद अब मनभेद का रूप ले चुके है। दोनों गुटों के बीच चल रही रसाकसी के कारण वहां कांग्रेस की किरकिरी हो रही है। मध्यप्रदेश में कमलानाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की अच्छी खासी सरकार बन गई थी लेकिन ज्योतिराधित्य सिंधिया की बगावत के कारण कमलनाथ सरकार चारो खाने चित्त हो गई और भाजपा की सरकार बन गई। एक और कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
यहां भी कथित ढाई-ढाई के साल के कार्यकाल को लेकर खींचतान मची हुई है। महाराष्ट्र में जहां कांग्रेस महा अगाड़ी सरकार का हिस्सा है वहां भी कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ती जा रही है। उत्तर प्रदेश, बिहार, गोवा और कर्नाटक के साथी ही केरल में भी कांग्रेस को कलह (Discord in Congress) का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में भाजपा की कड़ी चुनौती का सामना कैसे कर पाएगी।
यह सोच का विषय है। केन्द्र में भी कांग्रेस शसक्त विपक्ष की भूमिका का निर्वण करने में सफल नहीं हो पा रही है। इन सब वजहों से कांग्रेस पार्टी का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है और उसके सहयोगी दलों का भी कांग्रेस से भरोसा उठता जा रहा है। कांग्रेस हाईकमान को इस पर चिंतन करने की जरूरत है।