संपादकीय: महाविकास अघाड़ी में मतभेद गहराए
Differences deepen in Mahavikas Aghadi: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद महाविकास अघाड़ी में मतभेद लगातार गहराते जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान ही कांग्रेस पार्टी और उद्धव ठाकरे की पार्टी के बीच विवाद शुरू हो गया था जो इस गठबंधन की करारी हार के बाद और बढ़ रहा है।
दोनों ही पार्टी के नेता एक दूसरे पर चुनाव में सहयोग न करने का आरोप लगाते रहे हैं। अब स्थिति यह है कि महाविकास अघाड़ी में दरार पडऩे के स्पष्ट संकेत मिलने लगे हैं। शिव सेना यूबीटी के नेता राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने यह संकेत दिया है कि उनकी पार्टी मुंबई नगर निगम का चुनाव अकेले लड़ सकती है।
उनका कहना है कि पार्टी के कार्यकर्ता लगातार यह मांग कर रहे है कि बीएमसी चुनाव में शिवसेना यूबीटी को अकेले अपने दम पर चुनाव लडऩा चाहिए क्योंकि इस चुनाव में उम्मीदवारों की संख्या लोकसभा और विधानसभा चुनाव से कहीं ज्यादा है। इसलिए पार्टी कार्यकर्ता यह चाहते है कि बीएमसी चुनाव अकेले लडऩा चाहिए।
गौरतलब है कि बीएमसी में 1997वें से 2022 तक शिवसेना का ही कब्जा रहा है। बीएमसी में शिवसेना बड़ी ताकत बनी रही है। अब भले ही शिवसेना विभाजित हो गई है लेकिन उद्धव गुट के नेता और कार्यकर्ता यह मानकर चल रहे हैं कि अकेले चुनाव लडऩे से शिवसेना यूबीटी को लाभ होगा। यदि शिवसेना यूबीटी एकला चलो रे की नीति पर चलती है तो जाहिर है महाविकास अघाड़ी टूट जाएगी।
ऐसी स्थिति में शरद पवार की पार्टी भी तथा कांग्रेस भी बीएमसी चुनाव में अपने प्रत्याशी घोषित करेंगी। और ऐसे में बीएसी चुनाव में बहुकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। और इसका फायदा महायुति गठबंधन को मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। देखना होगा कि महाविकास अघाड़ी एक जुट रहती है या उसमें फूट पड़ती है।