संपादकीय: नेपाल में राजशाही की जोर पकड़ती मांग

Demand for monarchy gaining momentum in Nepal
Demand for monarchy gaining momentum in Nepal: पड़ोसी देश नेपाल में वहां की वामपंथी सरकार के खिलाफ जनता सड़कों पर उतर आई है। जो नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग को लेकर आंदोलित है। गौरतलब है कि नेपाल दुनिया का एकमात्र घोषित हिन्दू राष्ट्र रहा है जहां सदियों से राजशाही की व्यवस्था चली आ रही थी। किन्तु 1990 में चीन की शह पर नेपाल में राजशाही के बदले लोकतंत्र की मांग उठी और 1996 में लोकतंत्र की मांग को लेकर वामपंथियों ने हिंसक आंदोलन तेज कर दिया।
2001 में तात्कालीन राजा विरेन्द्र सिंह और उनके पूरे परिवार की हत्या कर दी गई। इसके बाद से वहां लोकतंत्र के नाम पर वामपंथी पार्टी की सरकार बनने की प्रक्रिया शुरू हो गई और 2008 में नेपाल गणराज्य बन गया।
2015 में वहां नया संविधान लागू किया गया और नेपाल को हिन्दू राष्ट्र के बदले धर्मनिरपेक्ष देश घोषित कर दिया गया। इसके बाद से नेपाल के राजशाही समर्थक लगातार वहां की वामपंथी सरकार के खिलाफ आंदोलन करते रहे हैं जिसने हाल ही में अब जोर पकड़ लिया है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि नेपाल में वामपंथी सरकार के कार्यकाल में वहां की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है और भ्रष्टाचार का बोल बाला हो गया है।
इस बीच चीन ने नेपाल को आर्थिक मदद कराकर उसे अपने जाल में जकड़ लिया है। नतीजतन नेपाल के लोग इस वाममंथी सरकार के क्रियाकलाप से पूरी तरह नाराज हो गए है। नेपाल जो पूर्व में भारत का अच्छा मित्र रहा है वहां जब से वामपंथी सरकार बनी है। नेपाल और भारत के बीच संबंधों में भी कटुता आने लगी है। नेपाल के तात्कालीन प्रधानमंत्री ने तो भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के कुछ हिस्सों का नाम भी बदल दिया था।
चीन के इशारे पर नेपाल सरकार भारत विरोधी रवैय्या अख्तियार करने लगी है। जिसकी वजह से भारत ने भी अब अपने हाथ खींच लिए है। इस वजह से भी नेपाल के लोग बेहद नाराज है। नेपाल सरकार की चीन से मित्रता और भारत जैसे सच्चे हितैषी देश से शत्रुता उन्हें पसंद नहीं आ रही है। यही वजह है कि वे इस सरकार से छुटकारा चाहते है और नेपाल में फिर से राजशाही स्थापित करने की मांग को लेकर आंदोलन पर बाध्य हो रहे हैं। जिसे कुचलने के लिए नेपाल सरकार सैन्य बल का उपयोग कर रही है। लेकिन इससे यह आंदोलन और तेज हो रहा है।
भारत ने इस मामले में तटस्थ रवैय्या अपनाया हुआ है। वैसे भी भारत की यह नीति रही है कि वह किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता। बहरहाल यह देखना होगा कि नेपाल में मौजूदा सरकार के खिलाफ हो रहा यह आंदोलन कितना सफल होता है।