Delhi Tribal Reservation Protest : मतांतरित आरक्षण आंदोलन को लेकर 10 लाख आदिवासी पहुंचेंगे दिल्ली

Delhi Tribal Reservation Protest

Delhi Tribal Reservation Protest

मतांतरितों को आरक्षण (Reservation) और सरकारी लाभ से वंचित करने की मांग को लेकर जनजातीय समाज ने दिल्ली चलो आंदोलन (Delhi Tribal Reservation Protest) की रूपरेखा अंतिम रूप दे दी है।

22 मई 2026 को प्रस्तावित इस राष्ट्रीय आंदोलन में 10 लाख आदिवासी (tribal people) शामिल होंगे। रविवार को जशपुर के बांकी टोली स्थित जनजातीय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय मुख्यालय में आयोजित बैठक में देशभर के आदिवासी नेता मौजूद थे। बैठक की अध्यक्षता मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत ने की।

बैठक में आंदोलन की रणनीति, समय-सारणी और राष्ट्रीय दबाव बनाने की ठोस योजना पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में भगत ने बताया कि डिलिस्टिंग (Delisting) का अर्थ है कि मतांतरितों को आरक्षण (Reservation) और अन्य सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। यह मुद्दा जनजातीय समाज के लिए बेहद संवेदनशील है और मंच वर्षों से इस पर आंदोलन कर रहा है।

इस आंदोलन को व्यापक रूप देने के लिए जशपुर, रायगढ़, कोरबा, सरगुजा, बलरामपुर और कोरिया सहित पूरे प्रदेश के आदिवासी जिलों से नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बैठक में हिस्सा लिया। भगत ने बताया कि इस राष्ट्रीय आंदोलन में सभी प्रांतों से आदिवासी समाज के लोग शामिल होंगे और इसके लिए पीला चावल देकर लोगों को आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

प्रांत संयोजक रोशन प्रताप सिंह ने बताया कि मार्च तक छत्तीसगढ़ से दिल्ली जाने वाले सभी लोगों की सूची तैयार कर ली जाएगी। दो वर्षों में प्रदेश में मतांतरण (Delisting Issue) से संबंधित 150 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें से 55 मामलों में एफआइआर पंजीकृत की गई है। यह संख्या दर्शाती है कि मतांतरितों के कारण जनजातीय समाज में नाराजगी और असंतोष बढ़ रहा है।

जनजातीय सुरक्षा मंच का लक्ष्य है कि 22 मई को दिल्ली में आदिवासी समाज का मजबूत प्रदर्शन हो और सरकार पर दबाव बनाया जाए। आंदोलन के दौरान दिल्ली में धरना देने के साथ-साथ राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा जाएगा। इस ज्ञापन में मतांतरण से जनजातीय समाज और देश को हो रहे नुकसान के प्रति जागरूकता फैलाने की मांग की जाएगी।

गणेश राम भगत ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल आरक्षण (Reservation) और सरकारी लाभ की रक्षा करना नहीं है, बल्कि पूरे देश में मतांतरण (Delisting) के दुष्परिणामों के प्रति जनजागरण (Awareness) करना भी है। 22 मई का दिल्ली चलो आंदोलन (Delhi Tribal Reservation Protest) इसी दिशा में निर्णायक कदम होगा।”

बैठक में यह भी तय किया गया कि आंदोलन के लिए सभी छह जिलों में लोगों को घर-घर संपर्क कर शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाएगा। कार्यकर्ता पीला चावल के माध्यम से लोगों को आमंत्रित करेंगे ताकि वे अपने समुदाय के अधिकारों के लिए एकजुट होकर दिल्ली की ओर बढ़ें।

इस प्रकार, 22 मई 2026 को प्रस्तावित दिल्ली चलो आंदोलन (Delhi Tribal Reservation Protest) जनजातीय समाज के लिए निर्णायक मोड़ साबित होगा। यह आंदोलन देशभर में मतांतरितों के खिलाफ आदिवासियों की आवाज़ को मजबूती से प्रस्तुत करेगा और सरकार पर प्रभावशाली दबाव बनाएगा।

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