Defection Game : दलबदल का खेल शुरू…
Defection Game : सत्ता का सेमीफाइनल कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के लिए होने जा रहे विधानसभा चुनाव की तिथि घोषित होते ही दलबदल का खेल शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मंत्री मण्डल में कैबिनेट मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है, वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए है। स्वामी प्रसाद मौर्य विछड़ा वर्ग के बड़े चेहरे माने जाते है। उनके साथ कुछ और विधायकों के भाजपा से सपा में जाने की संभावना है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने दावा किया है कि दर्जनों विधयक भाजपा छोडऩे के लिए तैयार बैठे है। स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा में शामिल होने के पहले बहुजन समाज पार्टी में थे, जिससे वे प्रदेश अध्यक्ष रह चुके है। पिछले विधानसभा चुनाव में वे बसपा छोड़ का भाजपा में शामिल हुए थे और उन्हे योगी मंत्रीमण्डल में श्रम मंत्री बनाया गया था। साढ़े चार साल तक सत्ता का सुख भोगने के बाद अब उन्होने भाजपा छोड़ते हुए यह आरोप लगाया है कि भाजपा में पिछड़े वर्ग की उपेछा की जाती है।
खैर यह तो पार्टी छोडऩे (Defection Game) का बहाना है। दरअसल कोई भी नेता जब दलबदल करता है तो अपनी पुरानी पार्टी पर इसी तरह के आरोप लगाता है। दलबदलुओं का एक ही सिद्धांत होता है कि अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता। अपने स्वार्थ के लिए ये नेता कपड़ों की तरह दल बदलते रहते है। इन दलबदलुओं को विरोधी पार्टी हाथों हाथ लेती है किन्तु मतदाताओं का मन जीतने में ये अकसर विफल हो जाते है। उत्तर प्रदेश में दलबदलने के लिए जो भगदड़ की स्थिति बनी है उसके पीछे एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि इस बार भाजपा कम से कम ६० से ७० मौजूदा भाजपा विधायकों की टिकट काटने जा रही है।
जिन भाजपा विधायकों को अपनी टिकट कटने का विश्वास हो गया है वे पार्टी छोडऩे लगे है। यह तो अभी शुरूआत है टिकट बंटवारें के बाद बड़ी संख्या में भाजपा से विधायक किनारा कर लेंगे और उन पार्टियों में शामिल हो जाएंगे जो उन्हे टिकट देगी। दलबदल का यह खेल पुराना है। बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान भी तृणमूल कांग्रेस से बड़ी संख्या में नेता भाजपा में शामिल हुए थे। वहीं कहानी अब उत्तर प्रदेश में दोहराई जा रही है जहां भाजपा छोड़ कर लोग सपा की ओर भाग रहे है, क्योंकि भाजपा के मुकाबले में समाजवादी पार्टी ही मजबूत नजर आ रही है।
कांग्रेस और बसपा दौड़ में कही नहीं दिख रही है इसलिए इन पार्टियों की ओर कोई रूख नहीं कर रहा है। जहां तक स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे का प्रश्न है तो इससे भाजपा को थोड़ा बहुत नुकसान हो सकता है क्योंकि उनकी गैर यादव पिछड़ा वर्ग पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। उत्तर प्रदेश में जातिगत समीकरण (Defection Game) बहुत काम आता है। ऐसी स्थिति मेें पिछड़ा वर्ग के विधायकों का इस्तीफा भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।