Dearness : महंगाई डायन खाए जात है…
Dearness : महंगाई ने आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है। दीपावली के पहले से आवश्यक वस्तुओं के दामों में लगातार इजाफा होता रहा है जो दीपावली बीत जाने के बाद भी बदस्तूर जारी है। केन्द्र सरकार ने दीपावली के तोहफे के रूप में पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साईड ड्यूटी कम कर दी और फिर भाजपा शासित सभी राज्यों की सरकारों ने भी पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले जीएसटी में कटौती की जिसकी वजह से पेट्रोल व डीजल के दामों में १० से १५ रूपए प्रतिलीटर तक कमी आ गई है।
इसके बाद भी महंगाई कम होने का नाम नहीं ले रही है। आवश्यक वस्तुओं के दाम कम नहीं हो रहे है, यहां तक कि हरी साग सब्जियां भी आम आदमी की पहुंच से बाहर होते जा रही है। टमाटर जैसी चीज भी ६० रूपए किलों से अधिक हो गई है जिसकी वजह से लोग सब्जी की जगह चटनी भी नहीं खा पा रहे है। लगातार बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की घरेलू बजट बिगाड़कर रख दिया है।
एक तो लंबे चले कोरोनाकल की वजह से वैसे ही लोगों की जमापूंजी लगभग खत्म हो गई है ऊपर से महांगाई (Dearness) डायन लोगों को खाए जात है। केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को चाहिए कि वे महांगाई पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठाएं ताकि आम आदमी को राहत मिल सके। दाम बांधने की मांग लंबे समय से की जाती रही है लेकिन न जाने क्यों सरकारें इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाती।
आवश्यक वस्तुओं की जमाखोंरी और कालाबाजारी करने वाले लोगों के खिलाफ भी कभी कभार ही कार्यवाही की जाती है। यही वजह है कि जमाखोरों के हौसले बुलंद है और वे बेखौफ होकर लोगों को दोनों हांथों से लूट रहे है। कोरोनाकाल में भी इन लोगों ने आम जनता का खून चूसने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। अब समय आ गया है कि जमाखारों और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही सुनिश्चित की जाएं। यह भी देखना चाहिए कि पेट्रोल और डीजल के दाम कम होने के बावजूद भी आखिरकार महंगाई (Dearness) पर अंकुश क्यों नहीं लग रहा है