Danger of Omicron : ओमिक्रॉन का बढ़ता खतरा...

Danger of Omicron : ओमिक्रॉन का बढ़ता खतरा…

Danger of Omicron: The growing threat of Omicron...

Danger of Omicron

राजेश माहेश्वरी। Danger of Omicron : देश में ओमिक्रॉन संक्रमितों का आंकड़ा बढ़त की ओर है। ओमिक्रॉन विश्व के 89 देशों में फैल चुका है। कुछ रपट ऐसी आई हैं कि यह संक्रमण 97 देशों तक फैल चुका है। यह वायरस 1.5 से 3 दिन के भीतर दोगुना हो रहा है। सबसे अधिक संक्रमण अमरीका और ब्रिटेन में फैल रहा है। अलबत्ता अधिकतर यूरोपीय देश इसकी जकड़ में आ चुके हैं।

इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए फिलहाल किसी भी तरह के सेलिब्रेशन को रद्द किया जा सकता है। जेनेवा में विश्व स्वास्थ्य संगठन के चीफ, डॉक्टर ट्रेड्रोस अधानोम ने कहा, ‘एक इवेंट का कैंसिल होना जिंदगी के कैंसिल होने से अच्छा है। यह अच्छा है कि अभी सेलिब्रेशन को कैंसिल करें और बाद में सेलिब्रेट…। डब्ल्यूएचओ चीफ के वक्तव्य से ही स्थिति की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

भारत में अब तक ओमिक्रॉन के 200 मरीज मिल चुके हैं। इसमें ज्यादातर मरीज महाराष्ट्र और दिल्ली से हैं। तेंलगाना और कर्नाटक में भी ओमिक्रॉन के मरीज मिले हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरस के इस वेरिएंट को ‘चिंताजनक’ बताया है। विशेषज्ञों के अनुसार बेशक हम बड़ी लहर की तरफ बढ़ रहे हैं। यह मार्च-अप्रैल, 2022 तक ‘पीक’ की स्थिति में होगी। नीति आयोग के सदस्य एवं कोरोना पर राष्ट्रीय कार्यबल के अध्यक्ष डॉ. वी.के.पॉल की गणना ने डर और चिंता के भाव पैदा कर दिए हैं। ‘

उनके अनुसार, ब्रिटेन के संक्रमित मामलों को भारतीय आबादी के अनुपात में देखें, तो हमारे देश में 14-15 लाख केस रोजाना सामने आ सकते हैं। ऐसी स्थिति में हमारा स्वास्थ्य और चिकित्सा ढांचा ढह सकता है। भारत में 12-13 करोड़ लोग अब भी ऐसे हैं, जिन्होंने किसी भी टीके की एक भी खुराक नहीं ली है। यानी उनकी इम्युनिटी की सुरक्षा संकट में हो सकती है।

अमरीका में औसतन 1.23 लाख संक्रमित केस हररोज दर्ज किए जा रहे हैं। अस्पतालों में भर्ती होने की दर भी करीब 45 फीसदी बढ़ गई है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने मौत के अंजाम भुगतने की चेतावनी जारी की है। जो लॉबी टीकाकरण का विरोध करती रही है, उसे भी खामियाजा झेलने को आगाह किया गया है।

अमरीका में कोरोना महामारी (Danger of Omicron) से अभी तक 7.5 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। ब्रिटेन में कार्यरत डॉ. राजेय नारायण के मुताबिक, रोजाना एक लाख से ज्यादा केस दर्ज किए जा रहे हैं। यह स्थिति तब है, जबकि करीब 85 फ ीसदी आबादी को टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी हैं और करीब 55 फीसदी आबादी में ‘बूस्टर डोज’ भी लग चुकी है। उसके बावजूद अस्पतालों में भीड़ बढऩे लगी है।’

ब्रिटेन के साथ-साथ नीदरलैंड्स में भी ‘लॉकडाउन’ कभी भी घोषित किया जा सकता है। हालांकि इन मामलों में डेल्टा और ओमिक्रॉन स्वरूप के कारण संक्रमण देखा जा रहा है। भारत भी उसी लकीर पर आगे बढ़ता जा रहा है। प्रख्यात चिकित्सकों ने भी विश्लेषण करना शुरू कर दिया है कि भारत में ओमिक्रॉन की बड़ी लहर आना निश्चित है। अब कोई उसे रोक नहीं सकता, क्योंकि नया स्वरूप देश के दर्जन भर राज्यों और संघशासित क्षेत्रों में फैल चुका है।

विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादा तेज संक्रमण के आसार सामुदायिक संक्रमण वाले इलाकों में हैं। फ ोर्टिस अस्पताल के निदेशक डॉ. राहुल भार्गव ने कुछ ऐसे मरीजों को देखा है, जिनके फेफ ड़ों में निमोनिया और संक्रमण था। ऑक्सीजन का स्तर भी 70-75 तक लुढ़क गया था। ये लक्षण डेल्टा स्वरूप से मिलते-जुलते हैं। एक चिकित्सा संस्थान के कुलपति डॉ. एस.के. सरीन का आकलन है कि फि लहाल हमारे सामने वे केस हैं, जिनकी जीनोम सीक्वेंसिंग की रपट आ चुकी है। अंतत: जो आंकड़ा सामने आएगा, उससे नए वेरिएंट के व्यापक संक्रमण की हकीकत खुलेगी।

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर पद्मश्री मणीन्द्र अग्रवाल का. प्रो. अग्रवाल के मुताबिक, नए कोरोना वैरिएंट से बहुत डरने के बजाय सावधान रहने की ज्यादा जरूरत है। उनका मानना है कि ओमिक्रॉन बेहद संक्रामक है। इसी वजह से यह महामारी की तीसरी लहर ला सकता है, लेकिन इसके पहले के मुकाबले कम खतरनाक रहने की उम्मीद है।

प्रो. अग्रवाल ने कहा कि मजबूत इम्यूनिटी वाले लोगों पर कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का असर ज्यादा नहीं होगा। स्वस्थ्य शरीर का ने नेचुरल इम्यून सिस्टम इससे लडऩे में सक्षम है। प्रो. अग्रवाल का मानना है कि देश की 80 फीसद आबादी का नेचुरल इम्युनिटी सिस्टम मजबूत हो चुका है। ऐसे में कोरोना के नए वैरिएंट का कुछ खास असर भारत पर देखने को नहीं मिलेगा। लेकिन, इतना जरूर है कि कोरोना की एक लहर भारत में भी आएगी।

दुनियाभर में कोरोना वायरस के अभी तक दुनियाभर में 27 करोड़ 52 लाख 90 हजार 161 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें से अभी तक कुल 53 लाख 73 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। फिलहाल 24 करोड़ 69 लाख 95 हजार से ज्यादा की रिकवरी भी हुई है। वहीं दुनियाभर में 2 करोड़ 29 लाख 20 हजार से ज्यादा एक्टिव मामले हैं। अब नये वेरिएंट ओमिक्रॉन ने दुनिया को भयभीत कर रखा है। अमेरिका में इस महीने कोरोना के मामलों में पचास फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

जिसको देखते हुए पाबंदियों को सख्त किया गया है, अब वाशिंगटन ने इनडोर मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि ओमिक्रॉन को लेकर वह जरूरत पडऩे पर सख्त कदम उठाएंगे। वहीं नीदरलैंड में चैथा लॉकडाउन शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा यूरोपीय राष्ट्र क्रिसमस के कार्यक्रमों पर पाबंदी लगाने की तैयारी में हैं।

मेडिकल साइंस की विश्व विख्यात पत्रिका ‘नेचर’ में एक शोधात्मक आकलन छपा है कि जिन्होंने टीके की दोनों खुराकें ले ली हैं, उनमें टीके का असर सिर्फ 19 फीसदी है। यदि ‘बूस्टर डोज’ ली है, तो असर करीब 53 फीसदी होगा। लिहाजा अमरीका, ब्रिटेन के साथ-साथ भारत के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने भी निष्कर्ष देना शुरू कर दिया है कि कमोबेश 50 साल की उम्र से ऊपरवालों और स्वास्थ्यकर्मियों को ‘बूस्टर डोज’ देने की शुरुआत यथाशीघ्र करनी चाहिए।

बाल-टीकाकरण भी किया जाए। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दोनों लहरों में करीब पौने पांच लाख लोगों को खोया भी है। फिलहाल देश में जो भी ओमिक्रॉन के मामले सामने आये हैं, वे अधिकांश विदेशों से आये लोगों में ही पाये गये हैं। सरकारें सुनिश्चित करें कि वे संक्रमण विस्तारक न बन पायें।

हमारी चिंता सर्दी के मौसम में इसके विस्तार की अनुकूलता को लेकर भी होनी चाहिए क्योंकि इस मौसम में वायरस (Danger of Omicron) का फैलना स्वाभाविक है। हमें बचाव के उन तीन उपायों को ही अपनाना होगा, जिनका हमने पिछली दो लहरों के दौरान पालन किया। फिलहाल हमारी सजगता व सतर्कता ही हमारा प्राथमिक उपचार है।

इस बीच अच्छी खबर यह है कि सीरम इंस्टिट्यूट ने तीन व उससे अधिक उम्र के बच्चों के लिये अगले छह महीनों में नोवावैक्स कोविड वैक्सीन लॉन्च करने की बात कही है। वैक्सीन लेने के बाद लापरवाह होना, कोरोना को हम पर हमला करने का मौका देने जैसा है। इलाज से रोकथाम ज्यादा बेहतर है। युवा और वयस्कों के टीकाकरण के साथ बच्चों के टीकाकरण का मार्ग भी प्रशस्त होना चाहिए।

-लेखक राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।

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