संपादकीय: उपराष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग

संपादकीय: उपराष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग

Cross voting in the Vice Presidential election

Cross voting in the Vice Presidential election


Editorial: उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी सी पी राधाकृष्णन 152 वोटों से चुनाव जीतकर देश के 15वें उपराष्ट्रपति बन गये। उन्होंने आईएनडीआईए के उम्मीदवार रेड्डी को पराजित कर दिया। इस चुनाव में एनडीए के प्र्रत्याशी सीपी राधाकृष्णन की जीत तो पहले ही सुनिश्चित थी क्योंकि लोकसभा राज्यसभा में एनडीए को आईएनडीआईए के मुकाबले बढ़त हासिल की। किन्तु आईएनडीआईए के नेता यह दावा कर रहे थे कि उनके प्रत्याशी की जीत होगी, क्योंकि एनडीए के बहुत से संसद अंतरात्मा की आवाज पर आईएनडीआईए के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करेंगे। इस चुनाव में क्रास वोटिंग तो हुई लेकिन वह एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में हुई।

कायदे से आईएनडीआईए के प्रत्याशी को उसके पूरे 315 वोट मिलने चाहिए थे लेकिन सिर्फ 300 वोट ही मिले जबकि एनडीए प्रत्याशी को 15 वोट ज्यादा मिले। जाहिर है। आईएनडीआईए में फूट पड़ गई थी। जबकि एनडीए एकजुट रही। अब अपना दिल बहलाने के लिए कांग्रेस पार्टी के नेता जयराम रमेश यह बयान दे रहे हैं। कि पिछले बार हुए उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के मुकाबले इस बार आईएनडीआईए को 14 प्रतिशत वोट ज्यादा मिले। वहीं कांग्रेस के एक प्रवक्ता अभय दुबे ने आरोप लगाया है कि एनडीए ने सीबीआई और ईडी का डर दिखाकर कुछ सांसदों से क्रास वोटिंग करवाई है।

बहरहाल उपराष्ट्रपति पद के लिए इस चुनाव में एनडीए ने आईएनडीआईए के वोट बैंक में सेंध लगाकर एक बार फिर उसे करारी शिकस्त दी है। दरअसल उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर एनडीए पूरी तरह से गंभीर था जिसमें बकायदा एक कार्यशाला आयोजित कर अपने सांसदों को प्रशिक्षित किया था और उन्हें एकजुट रखने में सफल रहा। वही दूसरी ओर आईएनडीआईए ने ऐसी कोई गंभीरता नहीं दिखाई।

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के येन पहले नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी छुट्टी मनाने मलेशिया चले गये। खुद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन कर्नाटक प्रवास पर चले गये थे। ऐसे में आईएनडीआईए के वोटों पर सेंध लगाना एनडीए के लिए आसान हो गया। इस चुनाव में जो 15 वोट अवैध घोषित किये गये हैं। वे भी आईएनडीआईए के ही हो सकते हैं। क्रास वोटिंग को लेकर सत्ता के गलियारों में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही है। ऐसी चर्चा है कि शिवसेना यूबीटी तथा समाजवादी और कांग्रेस के ही कुछ सांसदों ने क्रास वोटिंग की है।

बहरहाल अब तो वही बात हो गई थी चिडिय़ा चुग गई खेत। रही बात नये राष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने तो सार्वजनिक जीवन के कई दशकों का प्रदीर्घ अनुभव है और राज्यपाल के रूप में उन्होंने सराहनीय कार्य किया। आशा की जा रही है कि वे उपराष्ट्रपति के पद पर आसीन होकर संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे।