Corruption In Land Registration : ज़मीन के नाम पर बिकती वर्दी…पटवारी, कोटवार और बाबू की ट्रिपल गिरफ्तारी…

रायपुर/दुर्ग, 4 जुलाई। Corruption In Land Registration : ज़मीन के नामांतरण जैसे बुनियादी सरकारी काम के लिए अब भी रिश्वत की बुनियाद पर फैसले हो रहे हैं। लेकिन इस बार सिस्टम के तीन मजबूत पुर्जों को उसी बुनियाद पर धराशायी कर दिया गया, जिस पर वे आम लोगों का भरोसा डगमगाते रहे।
पहला मामला – पटवारी और कोटवार की जोड़ी
रायपुर के पास एक ग्रामीण ने अपने ज़मीन के दस्तावेज़ को वैधता दिलाने के लिए सरकारी प्रक्रिया अपनाई, लेकिन जवाब में उसे मिला एक ‘मूल्य टैग’ – ₹8,000 की माँग। जिस व्यक्ति पर ज़मीन की हकीकत दर्ज करने की ज़िम्मेदारी थी, वही पटवारी पैसे के लालच में हकीकत को बदलने को तैयार मिला। साथ ही कोटवार भी इस खेल का हिस्सा (Corruption In Land Registration)निकला। तय योजना के तहत दोनों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।
दूसरा मामला – बाबू का गणित
दुर्ग में एक और आम नागरिक से सरकारी दफ्तर के बाबू ने चार प्लॉट्स के नामांतरण के लिए ₹20,000 मांगे। मोलभाव के बाद सौदा ₹17,500 में तय हुआ – इंसाफ अब बोली लगाकर तय हो रहा था। लेकिन इस बार बोली लगाने वाला नहीं, पकड़ने वाला पहले से तैयार था।
इन घटनाओं ने ये साफ कर दिया है कि नीचे तक फैला भ्रष्टाचार अब किसी एक विभाग या कर्मचारी तक सीमित नहीं (Corruption In Land Registration)है – यह एक सुनियोजित जाल है, जिसमें गरीब और जरूरतमंद उलझते जा रहे हैं।
इस खबर की खास बातें:
यह केवल भ्रष्टाचार की कहानी नहीं, बल्कि व्यवस्था के अंदर की सड़न को उजागर करती रिपोर्ट है।
इसमें आम नागरिकों की हिम्मत, सिस्टम के खिलाफ उठी आवाज़ और परिणामस्वरूप हुई गिरफ्तारी का उल्लेख है।
सीधे ब्यूरोक्रेसी से जुड़े ऐसे चेहरों को बेनकाब किया गया (Corruption In Land Registration)है जो ‘काम’ को ‘कमाई’ में बदल चुके थे।