lockdown : ओ दूर के मुसाफिर हमको भी साथ ले ले रें..

lockdown : ओ दूर के मुसाफिर हमको भी साथ ले ले रें..

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-कबीरधाम जिले के श्रमिक फंसे गुजरात में, पैदल आने न हो मजबूर?

कवर्धा/नवप्रदेश। कोरोना वायरस (corona virus) संक्रमण से आज कोई भी देश अछूता नहीं है। हर किसी को इस महामारी ने अपनी चपेट में ले लिया है। वही पलायन (elopement) कर दूसरे प्रदेशों में गए मजदूर (laborer) अपने गांव की ओर लौटना (Return to village) चाह रहे हैं। लगभग आज 56 दिनों से लॉकडाउन की स्थिति देश में बनी हुई है। यह लॉकडाउन का तीसरा चरण है वही इसका चैथा चरण आज से लग चुका है।

ऐसी स्थिति में मजदूर पैदल (Labor) ही चले आ रहे हैं, तो कहीं इन्हें वाहनों का सहारा मिल जाए तो उन वाहनों में बैठ कर घर लौट रहे हैं । किसी भी स्थिति में इन्हें अपने गांव तक पहुंचना है। अलग-अलग प्रदेश में फंसे मजदूरों ने अपने जिले के अधिकारी सहित जनप्रतिनिधियों तक अपनी बातों को पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लिया है।

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मजदूर भी कहीं पैदल ही ना निकल पड़े

कुछ हद तक लोगों को लाया भी गया है, तो वही आज भी बहुत से लोग मदद की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन उन तक मदद नहीं पहुंच पा रही है जिसके चलते अब महसूस किया जा रहा है कि यह जदूर भी कहीं पैदल ही ना निकल पड़े। वर्तमान स्थिति में सुबह देर रात मजदूरों को पैदल आते देखा जा सकता है। इनमें कई ऐसे मजदूर हैं जिनके पैरों में छाले तक पड़ जाते हैं, लेकिन इनकी उम्मीद और आत्मविश्वास इतना मजबूत है कि पैदल ही मीलो की दूरी नापने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं, और सिर्फ चलते ही जा रहे हैं।

वर्तमान समय में इन मजदूरों पर वाहनों को देखकर एक गाना बराबर बैठ रहा है जो फिल्म उडऩ खटोला का है ओ दूर के मुसाफिर हमको भी साथ ले ले और कुछ इसी तरह मजदूर भी शासन-प्रशासन की ओर निहार रहे हैं। जो उन्हें अपने साथ में लेकर उनके गांव तक पहुंचा सके।

सोशल मीडिया से मांगी मदद

कुछ दिनों पहले कबीरधाम जिले के सहसपुर लोहारा, बोडला, पंडरिया, कवर्धा, पांडातराई जैसे ब्लॉकों के मजदूरों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपना वीडियो भेज कर हाथ जोड़कर विनती की साहब हम भी छत्तीसगढ़ के हैं हमें यहां से ले जाओ लेकिन अब तक इन मजदूरों को नहीं लाया जा सका है और मजदूरों की आस भी कमजोर हो रही है। ऐसा ना हो कि धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के मजदूर अब पैदल ही निकल पडऩे को मजबूर हो जाए।

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मजदूरों को लेकर सोशल मीडिया में वायरल खबर

रविवार के दिन स्थानी सोशल मीडिया में गुजरात के मजदूरों को लेकर कई तरह से खबर वायरल भी हुआ। यह भी अंकित किया गया कि अधिकारी इन फंसे हुए मजदूरों को कवर्धा लाने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं, तो इसके साथ ही यह बात भी सामने आई कि एक अधिकारी ने यह भी कह दिया कि तुमको जैसा बने वैसा आ जाओ। अब सोशल मीडिया में इस खबर की चलने के बाद कबीरधाम जिले में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है।

आखिर इन मजदूरों ने अपने परिवार के संचालन के लिए पलायन किया था जिससे वे दो वक्त की रोटी रोटी कमा सके। लेकिन अब ये मजदूर पूरी तरह से लॉकडाउन में फंस चुके हैं और उन्हे अपने गांव तक पहुंचने के लिए कोई उम्मीद की किरण नजर नही आ रही है।

गांधीनगर अहमदाबाद से पैदल आ रहे

जिले के सभी विकासखंडों से रोजी रोटी की तलाष में गांधीनगर व दाहोद पंहुचे थे, लेकिन एकाएक सरकार द्वारा किए गए लॉकडाउन से उनका परिवार फंस गया है, वंहा उन्हे काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस विषय में जानकारी देते हुए गुजरात के दाहोद जिले के झालूद गांव में फंसे बोड़ला विकासखंड के ग्राम पंचायत बैरख एवं ढोलबज्जा के भगवानी धुर्वे, दिनेश धुर्वे, विदेशी राम धुर्वे, लामू धुर्वे, विश्राम धुर्वे, गणेश खुसरो ने सोशल मिडिया के माध्यम से बताया कि लॉकडाउन के दौरान वे गांधीनगर अहमदाबाद से पैदल आ रहे थे।

उसी दौरान दाहोद जिले के झालूद गांव में रोककर क्वारेंटाइन में 14 दिन के लिए रोक दिया गया, लेकिन अब 14 दिन बीत जाने के बाद भी प्रशासन द्वारा वापसी के लिए घुमाया जा रहा है।

सौ से अधिक मजदूर फंसे

विकासखंड के बदराडीह ,भोरमदेव बाघूटोला के षरद पटेल, जिराखन पटेल आदि ने बताया कि गुजरात के ही गांधीनगर व अहमदाबाद में दो दलों में जिले चारों विकासखंडों से 100 से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं, वे भी विडियों काल व फोन के माध्यम से वापस आने की मदद लगातार मांग रहे हैं। छत्तीसगढ़ के श्रम विभाग में पंजीयन के बाद भी कोई उनकी सुध नहीं ले रहा है।

अहमदाबाद में 15 दिनों से पूर्ण रूप से दुकाने बंद होने से उन्हें कठिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। छोटे-छोटे बाल बच्चों के साथ गुजरात व छत्तीसगढ़ के प्रषासन से वापस होने के लिए मदद की गुहार लगाए जाने के अलावा इन फंसे मजदूरों के पास कोई रास्ता नहीं है। आखिरकार गुजरात में फंसे इन मजदूरों ने जिला प्रशासन से निवेदन करते हुए कबीरधाम जिला लाने की मांग की है।

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