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Corona: हे सोशल डिस्टंसिंग! इस बेटे की तरह निष्ठुर न बना देना क्योंकि भारत वो…

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भोपाल/नवप्रदेश। कोरोना (corona) से बचने के लिए आज सोशल डिस्टंसिंग (social distancing) पर जोर दिया रहा है। लेकिन वो सोशल डिस्टंसिंग भी किस काम की जिसमें लोग अपनों के प्रति अपने दायित्वों को भूल जाए। बात इसलिए हो रही है क्योंकि भोपाल (bhopal corona patient)  में मानवता व परिवार नामक संस्था पर सवाल खड़े करने वाला मामला सामने आया है। दरअसल एक कोरोना (corona) संक्रमित पिता की मृत्यु पर उनके बेटे (son not cremate father died from corona) ने उन्हें मुखाग्नि नहीं नहीं। बेटा ही नहीं पूरे के पूरे परिवार ने मृतक का शव स्वीकार करने से इनकार कर दिया और 50 मीटर की दूरी से अंतिम संस्कार को देखा।

कोरोना (corona) संकट के बीच मानवता को भुला देने वाली ऐसी निष्ठुर सोशल डिस्टंसिंग (social distancing) के बीच  भला हो बैरागढ़ के तहसीलदार गुलाबसिंह बघेल का कि जिन्होंने उस कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार किया।

उस भारत में ये कतई बर्दाश्त नहीं जिसने अपनों को विदेशों से लाया

प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal corona patient) में एक व्यक्ति की कोरोना वायरस से मौत हो गई। लेकिन बेटे ने पिता का शव लेने से इनकार कर दिया। प्रशासन के काफी समझाने के बाद भी न बेटा (son not cremate father died from corona) माना और न  ही परिवार। आखिर में बैरागढ़ तहसीलदार गुलाबसिंह बघेल ने व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस निष्ठुर स्वरूप की सोशल डिस्टंसिंग को भले सही कहा जा रहा हो, लेकिन भारतीय परंपरा व संस्कृति के लिहाज से इसे कतई सही नहीं ठहराया जा सकता। क्योंकि ये वही भारत है, जिसने मानवता दिखाते हुए विदेशों में फंसे अपने लोगों के साथ ही कुछ विदेशियों का भी विशेष विमानों से अपने यहां लाया। इस बात की पर

शव को हाथ लगाने से भी इनकार

शुजालपुर निवासी व्यक्ति की मौत भोपाल के चिरायु अस्पताल में हुई थी। प्रशासन ने मौत की जानकारी दी तो बेटा व परिजन अस्पताल पहुंचे। यह पता चलने पर कि पिता की मौत कोरोना से हुई है, बेटे ने संक्रमण के डर से पिता के शव को हाथ लगाने से भी इनकार कर दिया। दरअसल उसे बताया गया था कि वे शव को शुजालपुर नहीं ले जा पाएंगे। इससे वह और ज्यादा डर गया। मौके पर मौजूद अफसरों ने भोपाल में ही अंतिम संस्कार के लिए उसे काफी समझाया लेकिन वह नहीं माना। अफसरों ने बेटे को बताया कि डॉक्टर, नर्स और चिकित्साकर्मी भी तो मरीजों का इलाज कर रहे हैं उनके पास जा रहे हैं। बेटा फिर भी नहीं माना। उसने पिता का अंतिम संस्कार करने से भी मना कर दिया।

बेटे ने ये दिया लिखकर

बेटे ने इस संबंध में दिए अपने लिखित बयान में कहा है कि उसे पीपीई किट पहननी नहीं आती है इसीलिए प्रशासन ही अंतिम संस्कार करे। जब बेटा नहीं माना तो मां ने भी प्रशासन को अंतिम संस्कार की इजाजत दे दी। इसके बाद तहसीलदार बघेल ने पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार किया। जबकि बेटा करीब 50 मीटर दूर से पिता की चिता को जलते देखता रहा।

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